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Up Kiran, Digital Desk: भागदौड़ भरी जिंदगी में फ्रेंच फ्राइज़ जैसे 'कम्फर्ट फूड' हमारी दिनचर्या का एक अहम हिस्सा बन गए हैं. ये कुरकुरे, स्वादिष्ट और लगभग हर किसी के पसंदीदा होते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यही स्वादिष्ट जंक फूड चुपचाप आपके स्वास्थ्य को बड़ा नुकसान पहुंचा रहा है और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा 20% तक बढ़ा सकता है? हाल ही में हुए एक बड़े अध्ययन ने फ्रेंच फ्राइज़ और टाइप 2 डायबिटीज के बढ़ते जोखिम के बीच एक चौंकाने वाला संबंध उजागर किया है. ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित इस शोध के अनुसार, सप्ताह में तीन बार फ्रेंच फ्राइज़ खाने से टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम 20% तक बढ़ जाता है, और यदि इसे सप्ताह में पाँच बार खाया जाए, तो यह जोखिम 27% तक पहुंच सकता है[

हार्वर्ड विश्वविद्यालय के सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ सैयद मोहम्मद मौसवी के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन में 205,000 से अधिक अमेरिकी स्वास्थ्य पेशेवरों के आहार संबंधी इतिहास का तीन दशकों तक विश्लेषण किया गया[अध्ययन में पाया गया कि आलू अपने आप में हानिकारक नहीं है, लेकिन जिस तरह से इसे तैयार किया जाता है, वह इसे खतरनाक बना देता है. विशेषज्ञ बताते हैं कि फ्रेंच फ्राइज़ को अक्सर ऐसे तेलों में डीप-फ्राई किया जाता है जो अस्वस्थ वसा से भरपूर होते हैं और इनमें भारी मात्रा में नमक भी होता हैयह तलने की विधि इसके ग्लाइसेमिक लोड और कैलोरी घनत्व दोनों को बढ़ा देती है, जिससे इंसुलिन प्रतिरोध और वजन बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है, जो दोनों ही डायबिटीज के प्रमुख जोखिम कारक हैं[

इसके विपरीत, उबले, बेक किए या मैश किए हुए आलू जैसी कम-प्रोसेस्ड आलू की तैयारी में वसा अपेक्षाकृत कम होती है और यह विटामिन, फाइबर और पोटेशियम प्रदान करते हैं. अध्ययन से पता चला कि समान मात्रा में आलू को उबालकर, बेक करके या मैश करके खाने से डायबिटीज का खतरा नहीं बढ़ता. अगर फ्रेंच फ्राइज़ को साबुत अनाज से बदल दिया जाए, तो टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम 8% तक कम हो सकता है[. इसका मतलब है कि समस्या आलू में नहीं, बल्कि उसे पकाने के तरीके में है

सिर्फ फ्रेंच फ्राइज़ ही नहीं, बल्कि समोसे, चिप्स, अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ और अत्यधिक चीनी व नमक वाले रेस्तरां के खाने का बार-बार सेवन भी इंसुलिन प्रतिरोध, वजन बढ़ने और अंततः डायबिटीज और हृदय रोग जैसे गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ा सकता है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के अध्ययन ने भी तले हुए और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों को भारत में बढ़ती डायबिटीज महामारी से जोड़ा है, क्योंकि इनमें एडवांस ग्लाइकेशन एंड प्रोडक्ट्स (AGEs) की मात्रा अधिक होती है[. इसलिए, स्वस्थ विकल्प चुनना, जैसे घर का बना खाना और साबुत अनाज को प्राथमिकता देना, डायबिटीज को नियंत्रित करने और रोकने के लिए महत्वपूर्ण है[ अपने आहार में छोटे-छोटे बदलाव करके आप अपनी समग्र भलाई में महत्वपूर्ण सुधार कर सकते हैं