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Up Kiran, Digital Desk: जीएसटी में किए गए बड़े सुधार और इनकम टैक्स में तालमेल से देश की जीडीपी को सालाना आधार पर 0.7 से 0.9 प्रतिशत की अतिरिक्त ग्रोथ मिल सकती है। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने अपनी एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 22 सितंबर से लागू हो रहे टैक्स स्लैब के इस बड़े बदलाव से मौजूदा आर्थिक चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी। सबसे बड़ी बात यह है कि इससे आम परिवारों की खरीदारी की ताकत (परचेजिंग पावर) बढ़ेगी, जबकि सरकारी खजाने पर इसका बहुत मामूली असर पड़ेगा।
कोटक ने मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए बताया है कि जीएसटी की दरें कम होने से सरकार को करीब 93,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो सकता है। लेकिन, लग्जरी और सिन गुड्स (स्वास्थ्य के लिए हानिकारक वस्तुएं) पर नए 40 प्रतिशत स्लैब से 45,000 करोड़ रुपये की कमाई होगी, जिससे इस नुकसान की भरपाई में मदद मिलेगी।
इसके अलावा, ज्यादातर उत्पादों पर मुआवजा उपकर (compensation cess) को खत्म करने से और राहत मिली है। इस तरह, यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इन बदलावों से आम परिवारों को सालाना करीब 1.8 लाख करोड़ रुपये का फायदा होगा, जो देश की कुल जीडीपी का लगभग 0.6 प्रतिशत है।
कोटक ने आगे कहा कि सरकार पर वित्तीय दबाव काबू में दिखाई दे रहा है। वित्त वर्ष 24 की खपत के आधार पर देखें तो जीएसटी का शुद्ध प्रभाव लगभग 48,000 करोड़ रुपये तक सीमित है, जिससे केंद्र के लिए अपने घाटे के लक्ष्य को हासिल करना संभव लगता है। इससे सरकारी बॉन्ड यील्ड में हाल में दिखी अस्थिरता भी कम हो सकती है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि शेयर बाजारों ने इस सुधार के शुरुआती संकेतों पर पहले ही प्रतिक्रिया दे दी है, और कंज्यूमर से जुड़े कई शेयरों की कीमतों में उछाल देखने को मिला है।
आपको बता दें कि जीएसटी काउंसिल ने ज्यादातर टैक्स स्लैब को दो मुख्य दरों - पांच प्रतिशत और 18 प्रतिशत - में सीमित कर दिया है, जबकि महंगी वस्तुओं के लिए 40 प्रतिशत की दर रखी है। केवल तंबाकू पर मुआवजा उपकर तब तक लगता रहेगा जब तक कि उधार की देनदारियां पूरी नहीं हो जातीं, जिसकी संभावना 2025 के अंत तक है।