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Up Kiran, Digital Desk: नशे की लत सिर्फ ज़िंदगी बर्बाद नहीं करती, बल्कि समाज की जड़ों को भी खोखला कर देती है। इसी खतरे को समझते हुए पुलिस ने हाल ही में मिर्ज़ापुर में सक्रिय एक अंतरराज्यीय गांजा तस्करी गिरोह का पर्दाफाश किया है। लेकिन इस बार मामला सिर्फ तस्करों तक सीमित नहीं था—इस बार रिहायशी इलाकों की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है।

रिहायशी मकान बना तस्करी का अड्डा

पड़री थाना क्षेत्र के एक शांत से गाँव मोहनपुर भवरख, जो अब तक आम जनजीवन की दिनचर्या में व्यस्त रहता था, अचानक सुर्खियों में आ गया। पुलिस, एसओजी और सर्विलांस टीम की संयुक्त कार्रवाई में जब एक मकान पर छापा मारा गया, तो वहां से 74.5 किलो गांजा बरामद हुआ जिसकी अनुमानित कीमत करीब 20 लाख रुपये बताई गई है। यही नहीं, उस मकान का मालिक खुद तस्करी के इस रैकेट का हिस्सा निकला।

गिरफ्त में आए चार तस्कर

इस ऑपरेशन में जिन चार लोगों को पकड़ा गया है, उनमें दीपक कुमार पांडेय, ओमप्रकाश मौर्या उर्फ गुद्धा, राजेश मौर्या और मकान मालिक संदीप तिवारी शामिल हैं। ये सभी मिर्ज़ापुर में लंबे समय से गांजा तस्करी का रैकेट चला रहे थे, लेकिन पड़ोसियों को भनक तक नहीं लगी — या शायद लोगों ने चुप्पी साध ली थी।

गांजा कहां से आता था और कैसे बिकता था?

पूछताछ में सामने आया कि यह गिरोह उड़ीसा से गांजा मंगाता था और उसे डिजायर कार में छिपाकर लाया जाता था। इसके बाद गांजा संदीप तिवारी के घर में स्टोर किया जाता और फिर मांग के अनुसार छोटे पैकेट्स में बेच दिया जाता। खास बात ये रही कि गिरोह हर बार गाड़ी, रास्ता और समय बदल देता था ताकि कानून की पकड़ से दूर रहे।

सिर्फ एक अपराध नहीं, समाज पर हमला

यह मामला सिर्फ नशीले पदार्थों की तस्करी का नहीं है, बल्कि समाज में बढ़ते अपराध और मौन समर्थन की भी कहानी है। जब एक आम घर तस्करी का अड्डा बन जाए, तो यह सोचने की ज़रूरत है कि हम अपने आस-पास क्या नजरअंदाज कर रहे हैं।

पुलिस की सजगता से टूटी चुप्पी

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के निर्देश और अपर पुलिस अधीक्षक नगर तथा क्षेत्राधिकारी सदर की देखरेख में की गई इस कार्रवाई ने न केवल एक बड़े नेटवर्क को खत्म किया, बल्कि यह भी दिखाया कि सक्रिय खुफिया तंत्र और स्थानीय जानकारी के तालमेल से कैसे गंभीर अपराधों पर लगाम लगाई जा सकती है।

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