
नई दिल्ली: हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए करती हैं। वर्ष 2025 में यह व्रत 29 मई (बुधवार) को रखा जाएगा। इस दिन वट वृक्ष (बरगद का पेड़) की पूजा कर सावित्री-सत्यवान की कथा सुनी जाती है।
व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त:
वट सावित्री व्रत तिथि: 29 मई 2025 (ज्येष्ठ अमावस्या)
पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 04:30 से 07:15 बजे तक (स्थानीय पंचांग के अनुसार भिन्न हो सकता है)
अमावस्या तिथि प्रारंभ: 28 मई की रात 11:45 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त: 29 मई की रात 01:10 बजे
व्रत का महत्व:
मान्यता है कि वट सावित्री व्रत में देवी सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस ले लिए थे। तभी से यह व्रत पति की दीर्घायु और सुखमय दांपत्य जीवन के लिए रखा जाता है। वट वृक्ष को त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना जाता है।
पूजा विधि:
1. व्रती महिलाएं सुबह जल्दी स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
2. नए वस्त्र पहनकर पूजा की थाली सजाएं, जिसमें रोली, अक्षत, धूप, दीपक, फल, मिठाई, जल और पूजन सामग्री हो।
3. वट वृक्ष के नीचे जाकर उसके तने पर कच्चा सूत (धागा) लपेटें और जल चढ़ाएं।
4. सावित्री और सत्यवान की कथा सुनें या पढ़ें।
5. दिनभर उपवास रखें और संध्या के बाद फलाहार करें या पारण करें।
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