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Up Kiran, Digital Desk: उत्तर प्रदेश सरकार पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने की दिशा में एक अभिनव पहल कर रही है। ‘कार्बन क्रेडिट’ योजना के अंतर्गत अब किसानों को उनके लगाए गए पेड़ों के लिए एडवांस भुगतान किया जा रहा है — वो भी भविष्य में कार्बन सोखने की उनकी क्षमता के आधार पर। यह कदम यूपी को देश का पहला ऐसा राज्य बनाता है, जहां किसानों को कार्बन क्रेडिट के एवज में पहले से ही आर्थिक सहायता दी जा रही है।
क्या है कार्बन क्रेडिट और कैसे बन रहा किसानों के लिए कमाई का जरिया?
जब कोई किसान अपनी जमीन पर पेड़ लगाता है, तो वे पेड़ वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं। इस प्रक्रिया में वे कार्बन को ‘स्टोर’ करते हैं, जिससे उन्हें कार्बन क्रेडिट अर्जित होता है। एक मीट्रिक टन CO₂ अवशोषण पर एक कार्बन क्रेडिट दिया जाता है, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत लगभग 6 डॉलर प्रति पांच वर्ष होती है।
एडवांस भुगतान की नीति ने बदली तस्वीर
अब तक कार्बन क्रेडिट की रकम किसानों को तब दी जाती थी जब वेरिफिकेशन और क्रेडिट प्वाइंट की गणना पूरी हो जाती थी। लेकिन योगी सरकार ने अब किसानों को पेड़ लगाने के बाद ही अग्रिम भुगतान देना शुरू कर दिया है, ताकि उन्हें पर्यावरणीय योगदान के लिए तुरंत प्रोत्साहन मिल सके। वन विभाग के अनुसार, यह पहल किसानों को अधिक पेड़ लगाने के लिए प्रेरित करने का एक सशक्त माध्यम बन रही है।
अब तक इतने किसानों को मिला लाभ
योजना के पहले चरण में कुल 25,140 किसानों ने पंजीकरण कराया था। इनमें से 237 किसानों को अब तक 48.6 लाख रुपये की आंशिक रकम दी जा चुकी है। हर किसान को औसतन ₹10,000 की अग्रिम राशि मिली है। यह राशि ‘दुधवा टाइगर कंजर्वेशन फाउंडेशन’ के माध्यम से वितरित की जा रही है। वहीं, लगभग 26.15 लाख रुपये की अतिरिक्त राशि 408 किसानों को ट्रांसफर किए जाने की प्रक्रिया में है।
भविष्य में भुगतान की शर्तें भी तय
सरकार ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी किसान के लगाए गए पेड़ पांच वर्षों तक जीवित नहीं रहते, तो बाकी का भुगतान रोक दिया जाएगा। यानी यह सहायता सिर्फ शुरुआत नहीं, बल्कि निरंतर देखभाल की भी मांग करती है। हालांकि, एक बार पेड़ जीवित रहने की पुष्टि हो जाने पर किसान को 30 वर्षों तक कार्बन क्रेडिट के तहत भुगतान मिलता रहेगा। यानी यह योजना दीर्घकालीन आय का माध्यम बन सकती है।
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