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Up Kiran, Digital Desk: क्या आपने कभी कार में हेलमेट पहनने की सोची है शायद नहीं। लेकिन जालंधर के एक व्यक्ति को कार में हेलमेट न पहनने पर चालान काटे जाने का मैसेज मिला है। इसी तरह एक अन्य मामले में घर में खड़ी स्कूटी पर अवैध पार्किंग का चालान जारी कर दिया गया। ये घटनाएं केवल हास्यास्पद नहीं बल्कि गंभीर प्रशासनिक लापरवाही की ओर इशारा करती हैं।

मामला 1: कार में हेलमेट न पहनने पर चालान

लद्देवाली के रहने वाले तजिंदर सिंह को 22 मई की दोपहर एक SMS प्राप्त हुआ कि उनकी कार का चालान काटा गया है हेलमेट न पहनने के कारण। तजिंदर हैरान रह गए। "कार में हेलमेट कौन पहनता है।" यही सवाल उन्होंने पुलिस से शिकायत दर्ज करवाते वक्त पूछा।

उन्होंने स्पष्ट किया कि उस दिन वह पीएपी चौक से अपने घर लौटे थे और वाहन चालन में किसी भी तरह की कोई गलती नहीं की थी। फिर भी इस तरह का चालान आना ट्रैफिक सिस्टम की खामियों को उजागर करता है।

मामला 2: घर में खड़ी स्कूटी पर अवैध पार्किंग का चालान

कृष्णा नगर निवासी रिद्धम सहगल को 18 मई की रात करीब 7:30 बजे जब परिवार के साथ बैठे थे, तभी उन्हें मैसेज आया कि उनकी स्कूटी का अवैध पार्किंग का चालान काटा गया है।

चालान के अनुसार, स्कूटी "वासल माल" के पास पार्क थी, वही रिद्धम का दावा है कि उसकी स्कूटी घर में खड़ी थी, जिसकी उन्होंने वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ ट्रैफिक पुलिस को सबूत भी दिया।

रिद्धम ने न केवल स्थानीय थाने में, बल्कि ऑनलाइन और उच्च पुलिस अधिकारियों को भी शिकायत भेजी, लेकिन 10 दिन बीतने के बाद भी कोई समाधान नहीं निकला।

ट्रैफिक पुलिस की लापरवाही या तकनीकी गड़बड़ी

इन मामलों ने एक बार फिर इलेक्ट्रॉनिक चालान प्रणाली (E-Challan System) की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। तकनीकी गड़बड़ियां, गलत फोटो टैगिंग, या पुराने डेटा के आधार पर बिना सत्यापन के चालान जारी करना — ये सभी ऐसी समस्याएं हैं जो आम जनता को अनावश्यक रूप से परेशान कर रही हैं।

जनता का रोष और पुलिस की खामोशी

शहर के कई वाहन मालिकों का कहना है कि गलत चालान आने के बाद वे ट्रैफिक थानों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। शिकायत करने के बावजूद सुनवाई नहीं होती, और किसी भी निर्णय में देर या टालमटोल किया जाता है।

एक स्थानीय निवासी ने कहा कि गलती सिस्टम की है और भुगतना हमें पड़ता है — चालान काटो, फिर उसे रद्द करवाने के लिए छुट्टी लो, सबूत इकट्ठा करो और फिर भी कोई सुनवाई नहीं होती।

 

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