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वर्तमान समय में देखा जा रहा है कि इसका कारण लोगों की बिगड़ती जीवनशैली और गलत खान-पान हैफैटी लीवर की समस्या एक आम समस्या बन गई है। जब लीवर की कोशिकाओं में वसा जमा हो जाती है तो इसे फैटी लीवर रोग कहा जाता है। इस बीमारी के दौरान पीड़ित व्यक्ति को पेट में दर्द, मतली, भूख न लगना, वजन कम होना, पैरों में सूजन, थकान और कमजोरी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। अगर लिवर में सूजन बढ़ जाए तो लिवर खराब हो सकता है, इसलिए समय रहते इस समस्या का इलाज करना बहुत जरूरी है, नहीं तो पीड़ित की मौत भी हो सकती है। सही खान-पान और जीवनशैली में बदलाव करके फैटी लिवर की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा फैटी लीवर के इलाज में आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां भी काफी कारगर मानी जाती हैं। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको एक ऐसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी के बारे में बताएंगे। जो फैटी लीवर के इलाज के लिए रामबाण इलाज माना जाता है।

 

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* गिलोय का सेवन करें:

गिलोय का सेवन हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। आयुर्वेद में इसका उपयोग कई बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता रहा है। आपको बता दें कि गिलोय में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। इतना ही नहीं गिलोय का सेवन लिवर को स्वस्थ रखने में भी कारगर माना जाता है। फैटी लिवर की समस्या में गिलोय का सेवन बहुत फायदेमंद हो सकता है। अगर आप नियमित रूप से रोज सुबह खाली पेट एक गिलास पानी में एक चम्मच गिलोय का रस और शहद मिलाकर सेवन करते हैं, तो आपको फैटी लीवर की समस्या से राहत मिल सकती है।

* गिलोय के सेवन के अन्य फायदे :

1. बुखार कम करें:

आपको बता दें कि गिलोय में एंटीपायरेटिक गुण होते हैं, जो बुखार को कम करने में मदद करते हैं।

2. सूजन कम करें:

गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं जो सूजन को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा गठिया, अस्थमा और अन्य सूजन संबंधी बीमारियों में भी गिलोय का सेवन फायदेमंद हो सकता है।

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3. कैंसर :

गिलोय में कैंसर रोधी गुण पाए जाते हैं जो कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने में मदद करते हैं।

4. मधुमेह पर नियंत्रण रखें:

गिलोय में एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं जो रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।

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