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पंजाब में पंचायतों का कार्यकाल पूरा होने से पहले भंग करने को लेकर अब राज्य की वर्तमान सरकार नई परेशानियों में फंसती नजर आ रही है। पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने मान सरकार को कड़ी फटकार लगाई है।

न्यायालय की तरफ से सरकार से पूछा गया कि आखिर किस अधिकार से पंचायतों को भंग करने का निर्णय लिया गया है। सरकार को यह किसने दिया कि वह लोगों के चुने हुए प्रतिनिधियों से उनका अधिकार बिना किसी कारण वापस ले।

हाईकोर्ट की ओर से सरकार को फटकार लगाते हुए कहा गया कि पंचायतों के भंग किए जाने से बाढ़ राहत के लिए केंद्र की ओर से भेजे गए फंड का उपयोग कैसे होगा।

वहीं हाईकोर्ट में सरकार की तरफ से जब कहा गया कि जनहित को ध्यान में रखते हुए ये निर्णय लिया गया है। इस पर हाईकोर्ट ने मान शासन से पूछा कि क्या कोई सर्वे कराने के बाद ये निर्णय लिया गया। और आखिर इससे जनहित कैसे जुड़ा हुआ है। इस पर ठीक ठाक जवाब नहीं मिल पाने पर जज ने कहा कि आखिर सरकार खुद नियम बनाकर फैसला कैसे ले सकती है। चयनित प्रतिनिधियों से आखिर कैसे उनकी शक्तियां वापस ली जा सकती हैं।

जज ने कहा कि सरकार के पास यह अधिकार ही नहीं है कि वह वक्त से पहले बिना किसी आधार पर प्रदेश की पंचायतें भंग करते। मामले को लेकर अब सरकार ने जवाब दाखिल करने के लिए वक्त मांगा है। अब 31 अगस्त को सरकार को हाईकोर्ट में अपना जवाब दाखिल करना होगा।

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