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Up Kiran, Digital Desk: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत से आने वाले कई सामानों पर भारी टैक्स (टैरिफ) लगाने की घोषणा अब अमल में आ गई है, जिससे भारत के व्यापारिक गलियारों में बड़ी हलचल मच गई है। इस फैसले का असर कुछ भारतीय उद्योगों पर बहुत गहरा पड़ेगा, तो वहीं कुछ ऐसे भी सेक्टर हैं जिन्हें इससे पूरी तरह से छूट दी गई है।

यह कदम भारत के रूस से तेल खरीदने जैसे मुद्दों के जवाब में उठाया गया माना जा रहा है। आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि अमेरिका के इस फैसले से भारत के कौन से सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे और कौन से सुरक्षित हैं।

इन उद्योगों पर पड़ा है सबसे ज्यादा असर

यह टैरिफ उन उद्योगों के लिए बड़ी मुसीबत बनकर आया है जो भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाते हैं और लाखों लोगों को रोजगार देते हैं।

कपड़ा और परिधान (Textiles and Apparel): भारत के सबसे बड़े निर्यात क्षेत्रों में से एक, कपड़ा उद्योग पर इस टैरिफ का भारी असर पड़ेगा। अमेरिकी बाजार में भारतीय कपड़े महंगे हो जाएंगे, जिससे उनकी मांग घट सकती है। इससे चीन, वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देशों को फायदा मिल सकता है, जिन्हें अमेरिका से टैरिफ में छूट मिली हुई है।

रत्न और आभूषण (Gems and Jewellery): अमेरिका भारतीय गहनों का एक बहुत बड़ा बाजार है। अब टैक्स बढ़ने से भारतीय आभूषणों की चमक फीकी पड़ सकती है, क्योंकि वे अमेरिकी ग्राहकों के लिए और महंगे हो जाएंगे।

समुद्री उत्पाद और चमड़ा (Seafood and Leather): भारत से निर्यात होने वाले समुद्री खाद्य पदार्थ (जैसे झींगा) और चमड़े के सामान पर भी इस टैरिफ की मार पड़ी है, जिससे इन सेक्टर से जुड़े निर्यातकों की चिंता बढ़ गई है।

इन सेक्टरों को मिली है पूरी छूट 

 इस कहानी का एक दूसरा पहलू भी है। अमेरिका ने भारत के कुछ रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण और तेजी से उभरते उद्योगों को इन टैरिफ से पूरी तरह बाहर रखा है।

फार्मास्यूटिकल्स (Pharmaceuticals): यह भारत के लिए सबसे बड़ी राहत की बात है। भारत दुनिया में जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा उत्पादक है और अमेरिकी दवा बाजार में उसकी एक बड़ी हिस्सेदारी है। इस सेक्टर को टैरिफ से बाहर रखने का मतलब है कि भारतीय दवा कंपनियों का कारोबार पहले की तरह ही चलता रहेगा।

इलेक्ट्रॉनिक्स (Electronics): "मेक इन इंडिया" पहल के तहत भारत एक बड़े इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में उभर रहा है। मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक घटकों के निर्यात को इस टैरिफ से छूट मिलना इस सेक्टर के विकास के लिए एक बहुत अच्छी खबर है।

क्यों उठाया गया यह कदम?

अमेरिका का यह फैसला भारत के रूस के साथ व्यापारिक संबंधों, विशेष रूप से रियायती दरों पर रूसी तेल खरीदने की प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, दोनों देशों के बीच बातचीत के दरवाजे खुले हुए हैं और व्यापारिक तनाव को कम करने के प्रयास जारी हैं।

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