
Up Kiran, Digital Desk: सूत्रों के हवाले से एक बड़ी राजनीतिक खबर सामने आ रही है, जिसके अनुसार INDIA गठबंधन मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञान प्रकाश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव (Impeachment Motion) लाने पर विचार कर रहा है। इस गंभीर कदम के लिए गठबंधन आज दोपहर से हस्ताक्षर अभियान शुरू करेगा। यह निर्णय चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली और हालिया चुनावी निर्णयों पर विपक्ष की गहरी नाराजगी को दर्शाता है।
विपक्ष का आरोप: चुनाव आयोग 'BJP की बी टीम' की तरह कर रहा काम!
विपक्षी गठबंधन ने इस अभूतपूर्व कदम के पीछे दो मुख्य कारण बताए हैं:
पक्षपात का आरोप: विपक्ष का दावा है कि चुनाव आयोग सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पक्ष में निर्णय ले रहा है और प्रभावी ढंग से "BJP की बी टीम" के रूप में कार्य कर रहा है। यह आरोप आयोग की निष्पक्षता और स्वायत्तता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है।
विपक्ष पर दबाव और धमकी: सूत्रों के अनुसार, विपक्षी नेताओं को कथित तौर पर धमकियों और दबाव का सामना करना पड़ रहा है, जो चुनावी प्रक्रिया की अखंडता पर चिंताएं बढ़ाता है।
कांग्रेस सांसद का बयान: 'लोकतंत्र के हर हथियार का करेंगे इस्तेमाल!'
जब इस बारे में पूछा गया कि क्या विपक्षी दल मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञान प्रकाश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने जा रहे हैं, तो कांग्रेस के राज्यसभा सांसद सैयद नजीर हुसैन ने एक कड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा, "यदि आवश्यकता हुई, तो हम नियमों के तहत लोकतंत्र के सभी हथियारों का उपयोग करेंगे। अभी तक हमने (महाभियोग पर) कोई चर्चा नहीं की है, लेकिन यदि आवश्यक हुआ, तो हम कुछ भी कर सकते हैं..." यह बयान विपक्ष की मंशा को स्पष्ट करता है कि वे चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली से संतुष्ट नहीं हैं और यदि आवश्यक हुआ तो सख्त कदम उठाने से पीछे नहीं हटेंगे।
चुनाव आयोग की भूमिका और विपक्ष की मांगें
चुनाव आयोग की भूमिका देश के चुनावों को स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से संचालित करने की होती है। हालांकि, जब विपक्ष को लगता है कि यह संस्था अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों से विचलित हो रही है, तो ऐसे कदम उठाए जाते हैं। INDIA गठबंधन का यह कदम दर्शाता है कि वे चुनाव आयोग की निष्पक्षता को लेकर गंभीर चिंतित हैं और आयोग को अपनी भूमिका बेहतर ढंग से निभाने के लिए मजबूर करना चाहते हैं। महाभियोग एक संवैधानिक प्रक्रिया है जिसका उपयोग न्यायपालिका या चुनाव आयोग जैसे उच्च संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों के कदाचार या अक्षमता के मामलों में किया जाता है।
--Advertisement--