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Up Kiran, Digital Desk: वैश्विक राजनीति में टैरिफ विवाद और सामरिक तनावों के बीच भारत ने अपनी नौसैनिक शक्ति को नए अध्याय में प्रवेश कराया है। मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में भारतीय नौसेना को दो अत्याधुनिक स्टील्थ फ्रिगेट जहाज – आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस हिमगिरि – औपचारिक रूप से सौंपे गए। इस मौके पर सिंह ने घोषणा की कि देश के पास अब समुद्र में अपना खुद का ‘तैरता एफ-35’ मौजूद है।
अमेरिका और भारत के बीच तुलना
गौरतलब है कि कुछ समय पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को एफ-35 लड़ाकू विमान उपलब्ध कराने की संभावना जताई थी, लेकिन व्यापारिक टैरिफ को लेकर जारी मतभेदों ने इस वार्ता को आगे बढ़ने से अब तक रोके रखा है। राजनाथ सिंह ने परोक्ष टिप्पणी करते हुए कहा कि जब एक देश के पास हवा में उड़ने वाला एफ-35 है, वहीं भारतीय नौसेना के पास स्वदेशी तकनीक से तैयार लग्ज़री और ताक़तवर ‘युद्धपोत एफ-35’ है, जो समुद्र पर परचम लहरा रहा है।
नौसेना: सुरक्षा और अर्थव्यवस्था दोनों की धुरी
अपने संबोधन में रक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि नौसेना केवल समुद्री सीमाओं की रखवाली तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की आर्थिक सुरक्षा की धुरी भी है। तेल और गैस जैसी ऊर्जा आपूर्ति का बड़ा हिस्सा समुद्री मार्गों पर निर्भर है, और इस लिहाज़ से नौसेना की मज़बूती राष्ट्र की स्थिरता से सीधे जुड़ी है।
भारत की रक्षा नीति पर संदेश
राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया कि भारत कभी भी विस्तारवादी सोच में विश्वास नहीं करता और न ही उसने किसी देश पर पहले हमला किया है। उन्होंने कहा कि भारत की सुरक्षा पर यदि कोई खतरा मंडराता है, तो उसका जवाब देने की क्षमता देश के पास हर स्तर पर मौजूद है।
भारत-अमेरिका डिफेंस डील का हाल
दिलचस्प बात यह है कि एफ-35 जैसे लड़ाकू विमानों की खरीद पर अमेरिका और भारत के बीच अभी कोई ठोस चर्चा नहीं हुई है। इस वर्ष फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच जो संयुक्त बयान जारी हुआ था, उसमें केवल यह उल्लेख किया गया कि वॉशिंगटन भारत को पांचवीं पीढ़ी के विमान और समुद्री प्रणालियाँ उपलब्ध कराने की नीति पर पुनर्विचार करेगा। लेकिन उसके बाद से औपचारिक स्तर पर बात आगे नहीं बढ़ी।
INS उदयगिरि और INS हिमगिरि: आधुनिक युग के युद्धपोत
अब बात करें उन दोनों जहाजों की जो आज की चर्चा के केंद्र में रहे।
आईएनएस उदयगिरि: इसे मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) ने तैयार किया है। यह प्रोजेक्ट 17A का दूसरा जहाज है और अपनी श्रेणी का सबसे तेज़ पोत माना जा रहा है। इसकी गति और कार्यक्षमता का श्रेय शिपयार्ड द्वारा अपनाई गई मॉड्यूलर निर्माण तकनीक को जाता है।
आईएनएस हिमगिरि: यह कोलकाता में गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) द्वारा निर्मित पहला पी-17ए पोत है।
दोनों जहाज भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो की देन हैं। खासकर, उदयगिरि को इस ब्यूरो की शतकीय उपलब्धि माना जा रहा है – यह उनका 100वां डिज़ाइन किया गया जहाज है, जो स्वदेशी युद्धपोत तकनीक में पांच दशक की उपलब्धियों का प्रतीक है।
तकनीकी खूबियाँ और ताक़त
करीब 6,700 टन वजनी पी-17ए श्रेणी के जहाज, पुराने शिवालिक क्लास फ्रिगेट्स की तुलना में लगभग पाँच प्रतिशत अधिक बड़े हैं। इनमें –
स्टील्थ तकनीक, जो इन्हें रडार की पकड़ से बचाती है,
रडार रिफ्लेक्शन कम करने वाला सुव्यवस्थित ढांचा,
भारतीय निर्माताओं द्वारा विकसित आधुनिक हथियार और सेंसर प्रणाली शामिल किए गए हैं।
इन जहाजों के शस्त्रागार में सुपरसोनिक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें, मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, 76 मिमी एमआर गन, 30 मिमी और 12.7 मिमी हथियार प्रणालियाँ शामिल हैं, जो इन्हें समुद्र में हर प्रकार के मिशन को अंजाम देने में सक्षम बनाती हैं।
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