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Up Kiran,Digitl Desk: भारत की अंतरिक्ष एजेंसी, इसरो (ISRO), अब सिर्फ सैटेलाइट लॉन्च करने तक सीमित नहीं है, बल्कि उसने भविष्य के लिए ऐसे महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय कर लिए हैं, जो दुनिया को हैरान कर रहे हैं। इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने देश के भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों का एक पूरा खाका पेश किया है, जिसमें 2040 तक इंसानों को चांद पर भेजने का एक साहसिक सपना भी शामिल है।

इसरो चीफ ने पुष्टि की कि भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन, गगनयान, अपने तय समय पर है और इसे 2027 में लॉन्च किया जाएगा। लेकिन यह तो सिर्फ शुरुआत है, असली पिक्चर तो इसके बाद शुरू होगी।

2040 में चांद पर भारत, नागरिकों को कराई जाएगी सैर!

इसरो चीफ ने बताया कि चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब इसरो के लिए अगला और भी बड़ा लक्ष्य निर्धारित किया है - 2040 तक भारत का पहला मानवयुक्त चंद्र मिशन (India's first crewed lunar mission) भेजना।

वी. नारायणन ने आगे जो कहा, वह किसी साइंस फिक्शन फिल्म जैसा लगता है। उन्होंने कहा कि 2040 के मिशन के बाद, इसरो को उम्मीद है कि वह भारतीय नागरिकों को चांद तक ले जाने और सुरक्षित वापस लाने की क्षमता भी हासिल कर लेगा।

भारत क्यों देख रहा है इतने बड़े सपने?

इसरो चीफ ने गर्व से बताया कि भारत आज अंतरिक्ष के 9 अलग-अलग क्षेत्रों में दुनिया में नंबर वन है। चंद्रयान-1 द्वारा चांद पर पानी की खोज करने से लेकर चंद्रयान-3 द्वारा चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहली सफल सॉफ्ट-लैंडिंग करने तक, इसरो ने यह साबित कर दिया है कि उसके पास बड़ी ऊंचाइयों को छूने की क्षमता और प्रतिभा है।

इसरो के भविष्य के अन्य बड़े प्लान:अंतरिक्ष का 'बाहुबली' रॉकेट: इन बड़े सपनों को साकार करने के लिए, इसरो को अब एक बहुत शक्तिशाली रॉकेट की जरूरत होगी। इसरो एक ऐसे हैवी-लिफ्ट रॉकेट पर फोकस कर रहा है, जो 80,000 किलोग्राम वजन को पृथ्वी की निचली कक्षा तक ले जा सके।

आदित्य L1 की सफलता: भारत का सूर्य मिशन, आदित्य L1, पहले ही एक बड़ी सफलता साबित हो चुका है। इसने अब तक 15 टेराबिट से ज्यादा सौर डेटा भेज दिया है, जिससे सूर्य के तूफानों और अंतरिक्ष के मौसम को समझने में गहरी मदद मिल रही है।

गगनयान की जोरदार तैयारी: गगनयान मिशन की तैयारियां जोरों पर हैं। हाल ही में, इसरो ने मिशन के एक बहुत ही महत्वपूर्ण पैराशूट का सफल परीक्षण किया। इसका वीडियो भी जारी किया गया, जिसमें दिखाया गया कि कैसे यह पैराशूट अंतरिक्ष से लौटते समय क्रू मॉड्यूल को धीमा और स्थिर करेगा।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग: भारत अपने वैज्ञानिक और रणनीतिक हितों के आधार पर अंतरिक्ष में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए भी पूरी तरह से तैयार है।

इसरो की यह रूपरेखा उस नए भारत की कहानी कहती है जो अब सिर्फ अनुसरण नहीं करता, बल्कि दुनिया का नेतृत्व करने का सपना देखता है और उसे साकार करने की हिम्मत भी रखता है।