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Up Kiran, Digital Desk: त्योहारी सीज़न आते ही हर घर में रौनक बढ़ जाती है, और इससे सिर्फ माहौल ही नहीं बल्कि आपसी रिश्ते भी और मजबूत होते हैं। दशहरा के तुरंत बाद करवा चौथ का पर्व दस्तक देता है, जो खासतौर पर सुहागिनों के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण दिन होता है। ये दिन न केवल पति की लंबी उम्र की कामना से जुड़ा है, बल्कि दांपत्य जीवन में प्रेम और विश्वास को भी गहराई देता है।

पहली बार करवा चौथ रख रही हैं? भूल से भी ना करें ये 5 गलतियां!

अगर आप पहली बार करवा चौथ का व्रत रखने जा रही हैं तो कुछ बातें जानना बेहद जरूरी है। अक्सर नई दुल्हनें या युवा महिलाएं उत्साह में कई बार ऐसी छोटी-छोटी चूक कर बैठती हैं, जो व्रत की पारंपरिक भावना से मेल नहीं खातीं।

बिना ‘सरगी’ के अधूरा है व्रत

करवा चौथ की शुरुआत सूरज निकलने से पहले मिलने वाली 'सरगी' से होती है। ये सरगी सास द्वारा बहू को दी जाती है जिसमें सूखे मेवे, मिठाई, फल, श्रृंगार का सामान और कपड़े शामिल होते हैं। पहली बार व्रत रख रही महिलाएं अक्सर सरगी को नजरअंदाज कर देती हैं, लेकिन यह परंपरा का एक अहम हिस्सा होता है। बिना सरगी व्रत अधूरा माना जाता है।

क्या पहनें, क्या ना पहनें? जानिए रंगों का सही चुनाव

इस दिन पारंपरिक और शुभ रंगों का चुनाव करना बेहद जरूरी होता है। लाल, गुलाबी, पीला और महरून जैसे रंग शुभ माने जाते हैं। वहीं काले और सफेद कपड़ों से पूरी तरह परहेज़ करना चाहिए। दरअसल ये रंग शुभता के प्रतीक नहीं माने जाते, और पूजा के समय इनका उपयोग अशुभ माना जाता है।

पानी भी नहीं? जानिए व्रत के सख्त नियम

करवा चौथ का व्रत ‘निर्जला’ होता है यानी इसमें पानी तक नहीं पीया जाता। ये व्रत पूरी श्रद्धा और संयम की मांग करता है। अगर गलती से भी पानी पी लिया जाए तो व्रत टूट जाता है और इसका फल नहीं मिलता। इसलिए मानसिक रूप से खुद को पहले से तैयार करना बेहद जरूरी है।

मन का शांत रहना है सबसे जरूरी

व्रत के दौरान खुद को तनाव और गुस्से से दूर रखना चाहिए। किसी से बहस या तकरार करने से बचें। घर का माहौल सकारात्मक बनाए रखें और मन में श्रद्धा बनी रहे, तभी व्रत का सही फल मिलेगा। दिनभर खुद को व्यस्त रखें ताकि व्रत आसानी से कटे।

चांद देखे बिना न खोलें व्रत

कुछ महिलाएं जल्दीबाज़ी में व्रत खोल लेती हैं लेकिन परंपरा के अनुसार जब तक चांद दिखाई ना दे, व्रत खोलना ठीक नहीं माना जाता। चंद्रमा के दर्शन कर पूजा करने के बाद ही व्रत खोला जाना चाहिए।

अविवाहित लड़कियां भी रख रही हैं व्रत

अब ये पर्व केवल विवाहित महिलाओं तक सीमित नहीं रहा। कई अविवाहित लड़कियां भी अच्छे जीवनसाथी की कामना के साथ ये व्रत रखती हैं। ये दिखाता है कि करवा चौथ अब एक सामाजिक और भावनात्मक परंपरा का हिस्सा बन चुका है, जो हर उम्र की महिलाओं को आकर्षित कर रहा है।