img

Up Kiran, Digital Desk: बहुत सी महिलाओं को ऐसा लगता है कि 40 की उम्र के बाद शरीर पहले जैसा साथ नहीं देता। हल्की सीढ़ियां चढ़ने में सांस फूलना, सामान उठाने में दिक्कत होना या जोड़ों में हल्का दर्द महसूस होना आम बात लगने लगती है। हम इसे उम्र का तकाज़ा मानकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं। लेकिन क्या वाकई ऐसा है? जवाब है, बिल्कुल नहीं! इस उम्र में भी आप पहले की तरह ही फिट, एक्टिव और मजबूत रह सकती हैं। इसका राज छिपा है 'स्ट्रेंथ ट्रेनिंग' यानी वेट ट्रेनिंग में।

अक्सर 'वेट ट्रेनिंग' का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में भारी-भरकम डंबल उठाने वाले बॉडीबिल्डर्स की तस्वीर आ जाती है। लेकिन यह एक बहुत बड़ी गलतफहमी है। 40 के बाद महिलाओं के लिए स्ट्रेंथ ट्रेनिंग का मतलब मसल्स बनाना नहीं, बल्कि अपनी ताकत, लचीलेपन और स्वास्थ्य की नींव को मजबूत करना है।

40 के बाद क्यों ज़रूरी है स्ट्रेंथ ट्रेनिंग?

जैसे-जैसे हमारी उम्र 30 के पार होती है, हम हर दशक में अपनी 3 से 5 प्रतिशत मांसपेशियां खोने लगते हैं। 40 के बाद, खासकर मेनोपॉज के आसपास, यह प्रक्रिया और तेज़ हो जाती है। मांसपेशियां कमजोर होने का असर सिर्फ हमारी ताकत पर ही नहीं पड़ता, बल्कि इससे कई और समस्याएं भी शुरू हो जाती हैं:

कमजोर होती हड्डियां: मांसपेशियां हमारी हड्डियों को सहारा देती हैं। जब मसल्स कमजोर होती हैं, तो हड्डियों पर दबाव बढ़ता है और ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों का खोखला होना) जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। स्ट्रेंथ ट्रेनिंग हड्डियों के घनत्व को बढ़ाने में मदद करती है।

सुस्त मेटाबॉलिज्म: मांसपेशियां हमारे शरीर का मेटाबॉलिज्म रेट यानी कैलोरी बर्न करने की रफ़्तार को तेज रखती हैं। मसल्स कम होने से मेटाबॉलिज्म सुस्त हो जाता है, जिससे वजन बढ़ना आसान हो जाता है।

बिगड़ता बॉडी बैलेंस: कमजोर मांसपेशियां शरीर का संतुलन बिगाड़ती हैं, जिससे गिरने और चोट लगने का खतरा बढ़ जाता है।

हार्मोनल बदलाव: यह ट्रेनिंग एंडोर्फिन जैसे 'फील-गुड' हार्मोन को बढ़ाती है, जिससे तनाव कम होता है और मूड बेहतर रहता है।

कैसे करें शुरुआत? घर पर ही करें ये आसान एक्सरसाइज

शुरुआत करने के लिए आपको जिम जाने की भी ज़रूरत नहीं है। आप घर पर ही अपने शरीर के वज़न या हल्के डंबल से शुरुआत कर सकती हैं। हफ्ते में 2 से 3 दिन भी काफी हैं।

स्क्वाट्स (Squats): यह एक्सरसाइज आपके पैरों, कूल्हों और कोर मसल्स के लिए बेहतरीन है। यह उठने-बैठने और चलने-फिरने जैसी रोज़मर्रा की गतिविधियों में ताकत देती है।

कैसे करें: कुर्सी पर बैठने जैसी पोजिशन में नीचे जाएं, ध्यान रहे कि आपकी कमर सीधी हो।

पुश-अप्स (Push-ups): शुरुआत में आप दीवार के सहारे (वॉल पुश-अप्स) या घुटनों के बल यह एक्सरसाइज कर सकती हैं। यह आपकी छाती, कंधों और बाजुओं को मजबूती देती है।

प्लैंक (Plank): यह पेट और कमर की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए सबसे अच्छी एक्सरसाइज में से एक है। इससे बॉडी का बैलेंस और पोस्चर सुधरता है।

कैसे करें: पेट के बल लेटकर कोहनियों और पंजों के सहारे शरीर को सीधा ऊपर उठाएं।

बेंच डिप्स (Bench Dips): आप कुर्सी या बेड के किनारे की मदद से यह एक्सरसाइज कर सकती हैं। यह आपके ट्राइसेप्स (बाजुओं के पिछले हिस्से) को टोन करने में मदद करती है।

इन बातों का रखें खास ध्यान

वार्म-अप ज़रूर करें: किसी भी एक्सरसाइज से पहले 5-10 मिनट का वार्म-अप ज़रूरी है। यह मांसपेशियों को तैयार करता है और चोट से बचाता है।धीरे-धीरे आगे बढ़ें: शुरुआत में हल्के वज़न या कम रेप्स से शुरू करें और धीरे-धीरे अपनी क्षमता के अनुसार इसे बढ़ाएं।

शरीर की सुनें: अगर किसी एक्सरसाइज में दर्द हो, तो उसे ज़बरदस्ती न करें। शरीर को आराम देना भी उतना ही ज़रूरी है, जितनी एक्सरसाइज।

प्रोटीन है ज़रूरी: स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के साथ-साथ अपनी डाइट में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाएं। दालें, पनीर, दही, अंडे और सोयाबीन अच्छे विकल्प हैं।

40 की उम्र एक पड़ाव है, अंत नहीं। यह समय है अपने शरीर को और ज़्यादा प्यार और ध्यान देने का। स्ट्रेंथ ट्रेनिंग को अपनाकर आप न केवल आने वाले कई सालों तक फिट और एक्टिव रह सकती हैं, बल्कि एक ज़्यादा आत्मविश्वासी और खुशहाल जीवन जी सकती हैं।