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श्री सोल पाइप्स लिमिटेड कंपनी ने मोसमाघोघा, तालुका जेतपुर की सीमा में स्थित सरकारी जमीन को औद्योगिक उपयोग के लिए आवंटित करवाने हेतु आवेदन किया था। इस पर जिला कलेक्टर ने सरकार के पुराने आदेशों—दिनांक 06 जून 2003 और 27 नवंबर 2000—के आधार पर अधिकतम 15 लाख रुपये की कीमत तक की जमीन आवंटित करने की अनुमति दी थी।

हालांकि, इसके विपरीत तत्कालीन जिला कलेक्टर (आरोपी नं. 1) ने 47,173 वर्ग मीटर जमीन कंपनी को आवंटित कर दी, जो स्वीकृत सीमा से कहीं अधिक थी। ये आवंटन एक ही दिन, एक ही कंपनी और एक ही उपयोग के लिए किया गया, जो नियमों का सीधा उल्लंघन था।

नियमों की अवहेलना और भूमि का अनुचित आवंटन

गांधीनगर सचिवालय द्वारा यह स्पष्ट किया गया था कि यदि एक ही गांव में एक ही उद्देश्य के लिए विभिन्न सर्वे नंबरों की जमीन मांगी जाए, तो सभी मांगों को समेकित रूप से देखा जाना चाहिए और एक साथ निर्णय लेना आवश्यक है।

इसके बावजूद, जानबूझकर नियमों की अनदेखी की गई और 20,000 वर्ग मीटर से अधिक भूमि (अतिरिक्त 27,173 वर्ग मीटर) आवंटित कर दी गई, जिससे कंपनी को भारी आर्थिक लाभ हुआ और सरकार को राजस्व में नुकसान पहुंचा।

आरोपियों की आपसी मिलीभगत और सरकारी नुकसान

मामले की जांच में सामने आया कि यह सब एक पूर्व नियोजित साजिश थी, जिसमें कई अधिकारी शामिल थे। जिला भूमि मूल्यांकन समिति की बैठक में इस योजना को अंजाम दिया गया। आरोप है कि सभी ने मिलकर कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी आदेशों की अवहेलना की।

एफआईआर दर्ज, IPC की कई धाराओं में केस

इस पूरे मामले में CID क्राइम ब्रांच, राजकोट ज़ोन द्वारा FIR नंबर 1/11 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की निम्नलिखित धाराएं लगाई गई हैं:

धारा 120(B) – आपराधिक साजिश

धारा 409 – लोकसेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात

धारा 420 – धोखाधड़ी

मामले की जांच अभी जारी है और यह संभावना है कि आगे और नाम सामने आ सकते हैं।