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Up Kiran, Digital Desk: भारत के जनसांख्यिकीय परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, देश की कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate - TFR) अब प्रतिस्थापन स्तर (replacement level) से नीचे आ गई है। इसका मतलब है कि औसतन एक महिला अपने जीवनकाल में 2.1 बच्चों से कम को जन्म दे रही है, जो किसी आबादी को बिना प्रवासन के स्थिर रखने के लिए जरूरी मानी जाती है।

यह गिरावट कई सामाजिक-आर्थिक कारकों का परिणाम है। इनमें महिलाओं की शिक्षा का बढ़ता स्तर, गर्भनिरोधक तक बेहतर पहुंच और उनका बढ़ता उपयोग, शहरीकरण, देर से शादी करने का चलन और लोगों की बदलती प्राथमिकताएं और आकांक्षाएं शामिल हैं।

 जहां एक ओर यह कम जन्म दर सीमित संसाधनों पर दबाव को कुछ हद तक कम कर सकती है, वहीं दूसरी ओर यह भविष्य में बूढ़ी होती आबादी और कार्यबल से जुड़ी नई चुनौतियां भी खड़ी कर सकती है।

राष्ट्रीय स्तर पर इस बड़े बदलाव के साथ ही, यह समझना भी महत्वपूर्ण है कि व्यक्तिगत स्तर पर हम अपने प्रजनन स्वास्थ्य का ख्याल कैसे रख सकते हैं। प्रजनन क्षमता और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए जीवनशैली में कुछ बदलाव किए जा सकते हैं:

 भारत की प्रजनन दर में गिरावट एक महत्वपूर्ण जनसांख्यिकीय घटना है जिसके दूरगामी सामाजिक और आर्थिक परिणाम होंगे। इसके साथ ही, व्यक्तिगत स्तर पर स्वस्थ जीवनशैली अपनाना आपके अपने प्रजनन स्वास्थ्य और समग्र कल्याण के लिए बेहद जरूरी है।

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