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Up Kiran, Digital Desk: मणिपुर में बढ़ते तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी यात्रा के बारे में चर्चा के बीच एक अहम फैसला लिया गया है। 'कुकी-जो' परिषद ने राष्ट्रीय राजमार्ग-2 को यातायात और आपूर्ति की निर्बाध आवाजाही के लिए फिर से खोलने का निर्णय लिया है। इस कदम को प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा से पहले एक अच्छे इरादे के रूप में देखा जा रहा है, जिससे राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने में मदद मिल सके। केंद्र सरकार की पूरी कोशिश है कि मणिपुर में हालात स्थिर और सामान्य रहें।
गृह मंत्रालय की महत्वपूर्ण बैठक और निर्णय
यह फैसला केंद्रीय गृह मंत्रालय और कुकी-जो परिषद (केजेडसी) के प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक के बाद लिया गया। अधिकारियों ने मणिपुर की स्थिति पर गंभीर विचार-विमर्श किया और कई पहलुओं पर सहमति जताई। केजेडसी ने राष्ट्रीय राजमार्ग-2 पर शांति बनाए रखने के लिए भारतीय सुरक्षा बलों के साथ मिलकर काम करने का वादा किया है। गृह मंत्रालय के अनुसार, यह कदम दोनों पक्षों के बीच विश्वास बहाली के लिए एक अहम पहल है।
राष्ट्रीय राजमार्ग-2 की अहमियत
राष्ट्रीय राजमार्ग-2 मणिपुर को नागालैंड और पूर्वोत्तर के अन्य क्षेत्रों से जोड़ने वाली प्रमुख सड़क है। मई 2023 में राज्य में जातीय हिंसा के चलते इस सड़क को अवरुद्ध कर दिया गया था। इस हिंसा में कई लोग मारे गए थे और हजारों लोग विस्थापित हुए थे। मेइती और कुकी-जो समुदायों के बीच संघर्ष ने इस क्षेत्र को गहरे मानविक संकट में डाल दिया था। अब इस राजमार्ग को फिर से खोलने का निर्णय, राज्य में शांति स्थापित करने और सामान्य स्थिति लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत बनाने का प्रयास
राजमार्ग खुलने से, खासकर जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति में आसानी होगी। यह निर्णय राहत शिविरों में रह रहे विस्थापित लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। इंफाल और नई दिल्ली के अधिकारियों का मानना है कि इससे राज्य में बिगड़ी हुई स्थिति को संभालने में मदद मिलेगी। आवश्यक आपूर्ति के बेहतर प्रवाह से मानवीय संकट को कम करने की उम्मीद जताई जा रही है।
त्रिपक्षीय बैठक और निलंबन समझौता
गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने गुरुवार को नई दिल्ली में मणिपुर सरकार, केएनओ और यूपीएफ के प्रतिनिधियों के साथ एक त्रिपक्षीय मीटिंग आयोजित की। इस बैठक में एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। त्रिपक्षीय परिचालन निलंबन (एसओओ) समझौते में यह तय किया गया कि शर्तें एक साल तक प्रभावी रहेंगी। मंत्रालय ने बताया कि इस समझौते में मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने और स्थायी शांति के लिए बातचीत से समाधान की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
सुरक्षा बलों के साथ सहयोग और नए नियमों की शुरुआत
इसके अलावा, केएनओ और यूपीएफ ने संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों से सात विशिष्ट शिविरों में स्थानांतरण करने की सहमति दी है। इसके साथ ही, शिविरों की संख्या को घटाने और वहां से हथियारों को सुरक्षा बलों के पास रखने का निर्णय लिया गया है। सुरक्षा बलों द्वारा कैडरों का भौतिक सत्यापन किया जाएगा, ताकि कोई भी विदेशी नागरिक (यदि हों) को सूची से बाहर किया जा सके।