Up Kiran, Digital Desk: तुलसी, जो भगवान विष्णु की प्रिय पौध है, भारतीय धर्म और संस्कृति में एक विशेष स्थान रखती है। इसे धार्मिक दृष्टि से बहुत पवित्र माना जाता है। विशेष रूप से कार्तिक मास में तुलसी की पूजा और तुलसी के पास दीप जलाने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। यही कारण है कि तुलसी की पूजा को बहुत महत्व दिया जाता है।
भगवान श्री हरि बिना तुलसी के कोई भोग स्वीकार नहीं करते। आप जो भी अर्पित करें, वह तुलसी के बिना अधूरा माना जाता है। इसलिए, हर घर में तुलसी का पौधा होना एक सामान्य परंपरा बन चुकी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि तुलसी की पूजा के लिए कुछ विशेष नियम और समय होते हैं?
तुलसी को तोड़ने के नियम: कब और क्यों नहीं?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी को कुछ विशेष तिथियों और समयों में तोड़ने से बचना चाहिए। इन नियमों का पालन न करने से न केवल पूजा का फल अधूरा रहता है, बल्कि पाप भी लगता है।
1. महत्वपूर्ण तिथियां:
तुलसी को पूर्णिमा, अमावास्या, द्वादशी और सूर्य-संक्रांति के दिन कभी नहीं तोड़ना चाहिए। ये तिथियां विशेष रूप से पवित्र मानी जाती हैं, और इन दिनों तुलसी की पूजा करना भी फलदायक होता है, लेकिन तोड़ने से बचना चाहिए।
2. अशुद्ध अवस्था:
तुलसी को अशुद्ध अवस्था में भी नहीं तोड़ना चाहिए। अगर आप मानसिक या शारीरिक रूप से अशुद्ध हैं, तो तुलसी के पास जाना भी मना है। इसके अलावा, मध्याह्काल (दोपहर), रात्रि और दोनों संध्याओं के समय भी तुलसी नहीं तोड़नी चाहिए।
3. तेल लगाकर और बिना नहाए-धोए:
अगर आपने तेल लगा रखा है या आप बिना स्नान किए हुए हैं, तो भी तुलसी को नहीं तोड़ना चाहिए।
4. झूठी कसम और तुलसी के सामने प्रतिज्ञा:
पुराणों में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि जो व्यक्ति तुलसी के पास झूठी कसम खाता है या तुलसी को हाथ में लेकर झूठी प्रतिज्ञा करता है, वह नरक में जाता है। खासकर, जो तुलसी के सामने झूठी कसम खाता है, वह "कुम्भीपाक" नामक नरक में जाता है, जहां उसे लंबी अवधि तक कठिन यातनाएं झेलनी पड़ती हैं।
तुलसी का महत्व और मोक्ष की प्राप्ति
तुलसी का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि वह मोक्ष प्रदान करने में भी सक्षम मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि मृत्यु के समय, यदि किसी व्यक्ति के मुख में तुलसी का एक कण भी चला जाता है, तो उसे विष्णुलोक की प्राप्ति होती है। इसका मतलब यह है कि तुलसी सिर्फ भोग और पूजा में ही नहीं, बल्कि जीवन और मृत्यु के पार भी एक अहम स्थान रखती है।
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