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बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची की विशेष गहन जांच (SIR) शुरू हो चुकी है। चुनाव आयोग ने BLO (Booth Level Officer) को घर-घर जाकर मतदाता की पहचान सत्यापित करने का निर्देश दिया है। ध्यान देने की बात है कि इस बार आधार कार्ड स्वीकार नहीं किया जाएगा। इसके बजाय केवल निम्नलिखित 11 दस्तावेजों में से किसी एक दस्तावेज को पहचान के लिए मान्य किया गया है  :

1. जन्म प्रमाण पत्र


2. पासपोर्ट


3. पैन कार्ड


4. ड्राइविंग लाइसेंस


5. स्कूल/कॉलेज पहचान पत्र


6. बैंक या डाकघर पासबुक (फोटो सहित)


7. राशन कार्ड


8. बिजली/पानी का बिल


9. स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड


10. पेंशन प्रमाण पत्र


11. सेवा पहचान पत्र (सरकारी या सार्वजनिक कंपनी द्वारा)

 

युवाओं की विशेष शर्त: 18 से कम उम्र के नए मतदाता अपने माता-पिता का कोई वैध दस्तावेज दिखाएँगे ।

BLO को एक फॉर्म भरना होगा जिसमें मतदाता की जानकारी और दस्तावेज़ वेरिफ़िकेशन शामिल है। किसी भी लापरवाही या ग़लत दस्तावेज़ प्रमाणन पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गयी है  ।

बिहार में लगभग 77,895 BLO कार्यरत हैं, जिन्हें करीब 20,603 नए BLO के अतिरिक्त शामिल किया गया है ताकि पूरी प्रक्रिया तेज हो और 7.9 करोड़ मतदाता समय पर सर्वेक्षण का हिस्सा बनें  ।

इस कदम का उद्देश्य मतदाता सूची को अधिक पारदर्शी एवं त्रुटिरहित बनाना है — ताकि कोई अयोग्य व्यक्ति जुड़ न पाए और कोई पात्र मतदाता वंचित न हो  । BLO घर-घर जाकर यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी नाम सही हैं, गलत जानकारी तुरंत सुधार ली जाए और वही लोग सूची में बने रहें जिन्हें वोट देने का अधिकार है।

विपक्षी दलों ने आधार को मान्यता न दिए जाने पर सवाल उठाए हैं। उनका मानना है कि गरीब वर्ग के अधिकांश लोग केवल आधार रखते हैं और अन्य दस्तावेज़ नहीं  । हालांकि चुनाव आयोग का कहना है कि आधार ‘स्वैच्छिक’ है और मतदान अधिकार सुनिश्चित करने वाले दस्तावेजों की सूची सुप्रीम कोर्ट व अधिनियमों के अनुरूप है  ।

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