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Up Kiran, Digital Desk: भारत अब सिर्फ दुनिया का 'बैक ऑफिस' नहीं रहा, बल्कि 'इनोवेशन' और 'रणनीतिक विकास' का ग्लोबल हब बनता जा रहा है। इस बदलाव की कहानी के केंद्र में हैं 'ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर' (GCCs), जो अब देश के आर्थिक भविष्य का 'अगला मोर्चा' बन गए हैं।

पहले GCCs को अक्सर बहुराष्ट्रीय कंपनियों (MNCs) के 'कॉस्ट सेंटर' या 'बैक ऑफिस' के रूप में देखा जाता था, जिनका मुख्य काम लागत कम करना था। लेकिन अब ये सिर्फ लागत बचाने वाले केंद्र नहीं रहे, बल्कि ये 'रणनीतिक विकास', 'रिसर्च एंड डेवलपमेंट' (R&D) और 'इनोवेशन' के पावरहाउस बन गए हैं। बड़ी-बड़ी वैश्विक कंपनियां अब भारत में अपने GCCs को सिर्फ सपोर्ट फंक्शन के लिए नहीं, बल्कि अपने मुख्य व्यावसायिक संचालन और भविष्य की रणनीतियों के लिए स्थापित कर रही हैं।

भारत क्यों बना GCCs का पसंदीदा ठिकाना? भारत की विशाल और प्रतिभाशाली कार्यशक्ति, मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचा, और 'डिजिटल इंडिया' व 'मेक इन इंडिया' जैसी सरकारी पहलें इस बदलाव को गति दे रही हैं। भारत के GCCs अब सिर्फ वैश्विक संचालन का समर्थन नहीं कर रहे, बल्कि वे उत्पाद विकास, तकनीकी नवाचार और भविष्य के समाधानों को आकार दे रहे हैं।

ये GCCs न केवल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को आकर्षित कर रहे हैं, बल्कि लाखों लोगों के लिए उच्च-कौशल वाली नौकरियां भी पैदा कर रहे हैं। वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग (ML), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और ब्लॉकचेन जैसी अत्याधुनिक तकनीकों में निवेश कर रहे हैं, जिससे भारत वैश्विक प्रौद्योगिकी नवाचार में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन रहा है।

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