
Up Kiran, Digital Desk: दुनिया की बदलती राजनीति के बीच भारत और यूरोपियन यूनियन (EU) ने अपनी दोस्ती को एक नए लेवल पर ले जाने का फैसला किया है। EU ने भारत के साथ अपने संबंधों के लिए एक नया "स्ट्रैटेजिक रोडमैप" जारी किया है। इस रोडमैप का मुख्य फोकस तीन सबसे ज़रूरी क्षेत्रों पर है: व्यापार, टेक्नोलॉजी और रक्षा। यह कदम भारत के बढ़ते वैश्विक कद और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका को दिखाता है।
क्या है इस नए रोडमैप का मतलब?
इस नए रोडमैप का सीधा मतलब है कि अब यूरोपियन यूनियन भारत को सिर्फ एक व्यापारिक भागीदार के रूप में नहीं, बल्कि एक रणनीतिक सहयोगी के रूप में देख रहा है। यह रोडमैप अगले पांच सालों (2024-2029) के लिए दोनों पक्षों के बीच सहयोग की दिशा तय करेगा।
व्यापार (Trade): दोनों पक्ष एक महत्वाकांक्षी मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement) पर काम तेज़ी से पूरा करना चाहते हैं। इसका मकसद व्यापार को और आसान बनाना, निवेश बढ़ाना और सप्लाई चेन को मजबूत करना है, ताकि किसी एक देश (खासकर चीन) पर निर्भरता कम हो सके।
टेक्नोलॉजी (Technology): डिजिटल दुनिया में भारत की ताकत को देखते हुए, EU अब टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारत के साथ मिलकर काम करेगा। इसमें 5G/6G, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), क्वांटम कंप्यूटिंग और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इसका लक्ष्य एक सुरक्षित और खुला डिजिटल भविष्य बनाना है।
रक्षा (Defence): यह इस रोडमैप का सबसे अहम हिस्सा है। EU ने पहली बार माना है कि भारत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सुरक्षा और शांति के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। अब दोनों पक्ष समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद से लड़ने और रक्षा टेक्नोलॉजी पर मिलकर काम करेंगे। इसका मकसद हिंद महासागर और प्रशांत महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करना भी है।
EU के विदेश मामलों के प्रमुख जोसेप बोरेल ने कहा, "भारत एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति है, और एक अस्थिर दुनिया में, हमारी साझेदारी पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी है।"
यह नया रोडमैप न केवल भारत और यूरोपियन यूनियन के संबंधों को मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक मंच पर एक नया शक्ति संतुलन भी बनाएगा, जो एशिया और यूरोप दोनों के लिए फायदेमंद होगा।