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Up Kiran , Digital Desk: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए दुखद आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच उपजा तनाव अब खेल के मैदान तक भी पहुंच गया है। दोनों पड़ोसी देशों के बीच पहले से ही ठंडे पड़े द्विपक्षीय संबंध इस घटना के बाद और भी तल्ख हो गए हैं। इसका सीधा असर अब क्रिकेट पर पड़ता दिख रहा है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने एक बड़ा और अप्रत्याशित फैसला लेते हुए जून में होने वाले एशिया कप में भारतीय टीम को न भेजने का निर्णय लिया है। इस घटनाक्रम से न केवल पाकिस्तान को करारा झटका लगा है, बल्कि पूरे टूर्नामेंट के भविष्य पर भी सवालिया निशान लग गया है।

विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से खबर है कि बीसीसीआई ने एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) को अपने इस निर्णय से अवगत करा दिया है। बोर्ड ने एसीसी को सूचित किया है कि भारतीय क्रिकेट टीम जून में श्रीलंका में आयोजित होने वाले महिला इमर्जिंग टीम एशिया कप और इसके बाद होने वाले पुरुष एशिया कप 2025, दोनों ही टूर्नामेंटों से अपनी भागीदारी वापस ले रही है। इस फैसले का महत्व इसलिए और बढ़ जाता है क्योंकि एशियाई क्रिकेट परिषद के अध्यक्ष पाकिस्तान के एक प्रभावशाली मंत्री, मोहसिन नकवी हैं।

इस संवेदनशील मामले पर सबसे पहले 'द इंडियन एक्सप्रेस' ने अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की है। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव चरम पर है और दोनों देशों के बीच किसी भी प्रकार की बातचीत या सहयोग की संभावना क्षीण होती जा रही है। बीसीसीआई के एक उच्च पदस्थ सूत्र ने इस फैसले के पीछे की मंशा स्पष्ट करते हुए कहा, "भारतीय टीम एसीसी द्वारा आयोजित और पाकिस्तानी मंत्रियों की अगुवाई वाले किसी भी टूर्नामेंट में भाग नहीं ले सकती। यह देश की भावना है।" सूत्र ने आगे बताया, "हमने एसीसी को आगामी महिला इमर्जिंग टीम एशिया कप से हटने के बारे में मौखिक रूप से सूचित कर दिया है और उनके भविष्य के टूर्नामेंटों में हमारी भागीदारी भी निलंबित कर दी गई है।"

एशिया कप की मेजबानी और प्रारूप

यहां यह उल्लेखनीय है कि एशिया कप की पिछली मेजबानी भारत ने ही की थी। अगले साल ऑस्ट्रेलिया में होने वाले आईसीसी टी-20 विश्व कप को ध्यान में रखते हुए, इस वर्ष एशिया कप को भी टी-20 प्रारूप में आयोजित करने का निर्णय लिया गया था। यह टूर्नामेंट 2023 के बाद आयोजित होने वाला था, जिससे क्रिकेट प्रेमियों को इसका बेसब्री से इंतजार था।

प्रायोजकों पर संकट

इस टूर्नामेंट का एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि इसके अधिकांश प्रमुख प्रायोजक भारतीय कंपनियां हैं। बीसीसीआई के इस अप्रत्याशित फैसले के बाद, इन प्रायोजकों के भी टूर्नामेंट से अपने हाथ खींच लेने की पूरी संभावना है। यदि ऐसा होता है, तो एशियाई क्रिकेट परिषद के लिए इस बड़े टूर्नामेंट का आयोजन कर पाना बेहद मुश्किल हो जाएगा और इसकी संभावना है कि यह प्रतियोगिता रद्द भी हो सकती है। यह न केवल एसीसी के लिए एक बड़ा वित्तीय नुकसान होगा, बल्कि एशियाई क्रिकेट के भविष्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालेगा।

भारत-पाक संबंधों की गहरी खाई

पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से मौजूद अविश्वास की खाई को और गहरा कर दिया है। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया है और इस घटना के बाद से दोनों देशों के बीच वाकयुद्ध तेज हो गया है। व्यापार और यात्रा पहले से ही सीमित थे, लेकिन अब बीसीसीआई के इस फैसले के बाद दोनों देशों के बीच किसी भी प्रकार के खेल संबंध की संभावना भी धूमिल होती नजर आ रही है।

यह फैसला सिर्फ एक खेल आयोजन से हटने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की उस स्पष्ट नीति को भी दर्शाता है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता, तब तक किसी भी स्तर पर उसके साथ सामान्य संबंध स्थापित नहीं किए जा सकते। बीसीसीआई का यह कदम सरकार की इसी नीति का एक विस्तार माना जा रहा है।

पाकिस्तान को दोहरा झटका

बीसीसीआई का यह फैसला पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) और पूरे देश के लिए एक बड़ा झटका है। एक तरफ उनकी मेजबानी में होने वाले एसीसी टूर्नामेंट पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं, तो दूसरी तरफ भारतीय टीम के बिना इस टूर्नामेंट का आकर्षण भी काफी कम हो जाएगा। पाकिस्तान क्रिकेट को पहले से ही अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी साख बनाए रखने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है और ऐसे में भारत का यह बहिष्कार उनकी मुश्किलों को और बढ़ा देगा।

एसीसी के अध्यक्ष के रूप में मोहसिन नकवी की उपस्थिति भी इस मामले को और संवेदनशील बना देती है। बीसीसीआई का यह स्पष्ट संदेश है कि वे पाकिस्तान के किसी भी राजनीतिक व्यक्ति की अध्यक्षता वाले संगठन के तत्वावधान में खेलने को तैयार नहीं हैं, खासकर तब जब द्विपक्षीय संबंध इतने तनावपूर्ण हों।

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