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Up Kiran Digital Desk: पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के विरुद्ध कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। पाकिस्तान के साथ 65 साल पुरानी सिंधु संधि को रद्द करना पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए भारत द्वारा उठाया गया सबसे बड़ा कदम माना जा रहा है। इस बीच अब भारत ने पाकिस्तान के विरुद्ध एक और बड़ा कदम उठाया है। भारत सरकार ने चिनाब नदी पर बने बगलिहार बांध से पाकिस्तान को पानी का प्रवाह रोक दिया है। झेलम नदी पर स्थित किशनगंगा बांध से पानी छोड़ने पर भी रोक लगाने का निर्णय लिया जा सकता है।

क्या किशनगंगा का पानी रोका जाएगा

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, भारत जम्मू के रामबन में बगलिहार जलविद्युत बांध और उत्तरी कश्मीर में किशनगंगा जलविद्युत बांध के माध्यम से पाकिस्तान की ओर अपने क्षेत्र से पानी के प्रवाह को नियंत्रित कर सकता है। इसका मतलब यह है कि इन बांधों के माध्यम से पाकिस्तान जाने वाले पानी को बिना किसी पूर्व सूचना के रोका जा सकता है या प्रवाह बढ़ाया जा सकता है। पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत ने दशकों पुराने इस समझौते को निलंबित कर दिया था।

1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किये गये। इसके तहत सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के जल को दोनों देशों के बीच बांटने का निर्णय लिया गया। बगलिहार बांध भी दोनों पड़ोसी देशों के बीच लंबे समय से विवाद का मुद्दा रहा है। पाकिस्तान ने पहले भी इस मामले में विश्व बैंक से मध्यस्थता की मांग की थी। इसी तरह किशनगंगा बांध को लेकर भी विवाद है।

सिंधु नदी प्रणाली पाकिस्तान के लिए क्यों महत्वपूर्ण है

संधि के अनुसार, पाकिस्तान को सिंधु प्रणाली की पश्चिमी नदियों (सिंधु, चिनाब और झेलम) पर नियंत्रण दिया गया है। पाकिस्तान सिंधु नदी प्रणाली के लगभग 93% जल का उपयोग सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए करता है। पाकिस्तान की लगभग 80% कृषि भूमि इसी जल पर निर्भर है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में कृषि महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यही कारण है कि पाकिस्तान लगातार समझौते को रद्द करने पर युद्ध की धमकी दे रहा है।

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