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Up Kiran, Digital Desk: दक्षिण काकेशस में एक नया कूटनीतिक भूचाल आया है, जहां कभी सहयोगी रहे रूस और अजरबैजान के रिश्तों में तीखा टकराव देखने को मिल रहा है। हाल की घटनाओं ने दोनों देशों के बीच सिर्फ राजनयिक संवाद ही नहीं, बल्कि आम नागरिकों की सुरक्षा, मीडिया स्वतंत्रता और क्षेत्रीय स्थिरता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। इस तनाव के पीछे कुछ हालिया घटनाएं हैं, लेकिन इनका असर आने वाले समय में बहुत व्यापक हो सकता है।

नागरिकों की मौत और गुस्से की लहर

रूस के येकातेरिनबर्ग शहर में दो अजरबैजानी नागरिकों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत ने इस विवाद की चिंगारी भड़काई। हिरासत में लिए गए हुसेन और जियाद्दिन सफारोव की मौत के बाद अजरबैजान में आक्रोश फैल गया। वहां की सरकार ने आरोप लगाया कि इनकी मौत पुलिस की बर्बरता और टॉर्चर के कारण हुई, जबकि रूस का दावा है कि इनमें से एक की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई थी।

इस घटना ने दोनों देशों की जनता के बीच भी अविश्वास पैदा कर दिया, जहां एक तरफ अजरबैजानी समाज अपने नागरिकों के लिए न्याय की मांग कर रहा है, वहीं रूस अपने सिस्टम की निष्पक्षता का बचाव कर रहा है।

जवाबी कार्रवाई में पत्रकारों की गिरफ्तारी

इस टकराव का अगला चरण तब सामने आया जब अजरबैजान ने रूसी मीडिया संस्थान "स्पूतनिक अजरबैजान" पर कार्रवाई की। कई रूसी पत्रकारों और कर्मचारियों को धोखाधड़ी और अन्य आपराधिक मामलों में गिरफ्तार किया गया। इन गिरफ्तारियों को रूस ने जानबूझकर किया गया प्रतिशोध बताया। सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों में गिरफ्तार रूसी नागरिकों के चेहरे पर चोटों के निशान ने रूस की जनता में भी गुस्सा पैदा किया।

विमान हादसा: पुराना जख्म फिर हरा

2024 के दिसंबर में हुए एक विमान हादसे को लेकर भी दोनों देशों में मतभेद गहराते जा रहे हैं। अजरबैजान का आरोप है कि रूस की रक्षा प्रणाली की गलती से उनका यात्री विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ, जिसमें 38 लोग मारे गए। इस घटना के सबूत के तौर पर कुछ ऑडियो क्लिप सामने आईं, जिनमें कथित तौर पर रूसी अधिकारियों को फायरिंग का आदेश देते सुना गया।

हालांकि रूस ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है और घटना की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया। अजरबैजान ने रूस से सार्वजनिक माफी की मांग की है, जिसे रूस ने नकार दिया है।

शिक्षा और संस्कृति पर भी पड़ा असर

रूस-अजरबैजान टकराव केवल राजनीतिक और सुरक्षा मुद्दों तक सीमित नहीं रहा। अजरबैजान ने देश में रूसी भाषा के स्कूलों को बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। साथ ही, रूस से जुड़े सांस्कृतिक कार्यक्रमों को भी रद्द कर दिया गया है। इससे दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान और शैक्षणिक संबंध भी खतरे में पड़ गए हैं।

भू-राजनीतिक समीकरण बदल रहे हैं

इन तात्कालिक घटनाओं के पीछे बड़ी वजहें भी हैं, जो इस टकराव को और जटिल बना रही हैं। अजरबैजान का तुर्की के साथ बढ़ता सैन्य और राजनीतिक गठजोड़ रूस के लिए चिंता का विषय बन गया है। खासकर नागोर्नो-काराबाख संघर्ष में तुर्की की भूमिका ने रूस की क्षेत्रीय पकड़ को कमजोर कर दिया है।

दूसरी ओर, रूस इस समय यूक्रेन युद्ध में उलझा हुआ है और दक्षिण काकेशस में उसका प्रभाव धीरे-धीरे कम हो रहा है। अजरबैजान इस मौके को अपनी रणनीतिक स्थिति मजबूत करने के लिए इस्तेमाल कर रहा है। हाल ही में अजरबैजान के राष्ट्रपति की यूक्रेनी राष्ट्रपति से बातचीत को भी रूस ने उकसावे की कार्रवाई माना है।

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