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Up Kiran, Digital Desk: पिछले कुछ दशकों में युद्ध की परिभाषा तेजी से बदल रही है। अब लड़ाई केवल सीमा पर बंदूकें लेकर खड़े सैनिकों की नहीं रह गई है, बल्कि आसमान और तकनीक का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है। दुनिया भर में हो रहे हालिया संघर्ष—चाहे वह रूस-यूक्रेन का युद्ध हो या इजरायल और ईरान के बीच की तनातनी ने यह साफ कर दिया है कि पारंपरिक युद्ध शैली अब पीछे छूट रही है और आधुनिक तकनीक इसकी जगह ले रही है।

इन युद्धों में एक खास बात सामने आई है: दुश्मन को मात देने के लिए भारी संख्या में सेना भेजने की बजाय अब ड्रोन, मिसाइल और हवाई हमले ज़्यादा कारगर साबित हो रहे हैं। इन टकरावों में एयरफोर्स की भूमिका सबसे अहम रही है, जबकि जमीनी सैनिकों की संख्या सीमित रही। इससे यह साफ हो गया है कि आने वाले समय में भी लड़ाइयों का रुख टेक्नोलॉजी की ओर ही रहने वाला है।

भारत भी इन वैश्विक घटनाओं से सीख ले रहा है। हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया, जिसमें एयरफोर्स और मिसाइल सिस्टम का अहम योगदान रहा। जमीनी सेना का इस्तेमाल न्यूनतम रखा गया। यह दिखाता है कि भारत की रक्षा नीति अब पारंपरिक तौर-तरीकों की जगह आधुनिक उपायों पर ज़ोर दे रही है।

देश की सुरक्षा को देखते हुए सरकार अब भारी मात्रा में संसाधन हाई-टेक हथियारों और सैन्य उपकरणों में लगा रही है। रक्षा बजट का बड़ा हिस्सा फाइटर जेट्स, अत्याधुनिक आर्टिलरी गन, मिसाइल सिस्टम, वॉरशिप और एयरक्राफ्ट कैरियर जैसे उपकरणों के निर्माण और खरीद पर खर्च किया जा रहा है। भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों को अपग्रेड करना प्राथमिकता बन चुका है, ताकि किसी भी चुनौती का जवाब तुरंत और सटीक तरीके से दिया जा सके।

इस बदलाव का सबसे बड़ा फायदा आम नागरिकों की सुरक्षा पर पड़ रहा है। सीमाओं पर होने वाले खतरे अब सीधे शहरों तक न पहुंचे, इसके लिए सरकार पहले से तैयारी कर रही है। ड्रोन टेक्नोलॉजी की बढ़ती भूमिका ने भी नागरिक क्षेत्रों की निगरानी और आपात स्थिति में जवाब देने की क्षमता को बढ़ा दिया है।

आज हर देश यह समझ चुका है कि अगर सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं दी गई, तो वे वैश्विक दौड़ में पीछे रह जाएंगे। जो राष्ट्र रक्षा क्षेत्र में निवेश से हिचक रहे हैं, उनकी स्थिति कमजोर होती जा रही है। ऐसे में भारत का यह कदम न सिर्फ उसकी सीमाओं की रक्षा के लिए जरूरी है, बल्कि देश के हर नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी बेहद अहम है।

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