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Up Kiran, Digital Desk: अगली बार जब आप अपना स्मार्टफोन हाथ में लें, तो एक पल के लिए रुककर सोचिएगा। यह सिर्फ़ एक डिवाइस नहीं, बल्कि भारत की एक ज़बरदस्त कामयाबी की कहानी का हिस्सा है। शुक्रवार को आई एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स डिज़ाइन और मैन्युफैक्चरिंग (ESDM) उद्योग आने वाले सालों में रॉकेट की रफ़्तार से बढ़ने वाला है। अनुमान है कि 2030 तक यह बाज़ार दोगुना होकर ₹7-8 लाख करोड़ का हो जाएगा!

रिपोर्ट के अनुसार, अगले पाँच सालों में यह इंडस्ट्री हर साल 20-25% की तूफ़ानी रफ़्तार से बढ़ेगी। इसकी सबसे बड़ी वजह है स्मार्टफ़ोन, टीवी-फ्रिज जैसे कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स और गाड़ियों में लगने वाले इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स की बढ़ती माँग।

इस पूरी क्रांति की रीढ़ की हड्डी है 'स्मार्टफोन'

इस पूरी कहानी का असली हीरो कोई और नहीं, बल्कि आपका स्मार्टफोन है। भारत के कुल इलेक्ट्रॉनिक्स बाज़ार में 62% हिस्सेदारी अकेले स्मार्टफोन सेगमेंट की है।

कहाँ से कहाँ आ गए हम: पिछले एक दशक में भारत ने इस क्षेत्र में चमत्कार जैसा काम किया है। एक समय था जब हम 99% फोन विदेशों से आयात करते थे, और आज देश में बिकने वाले 99% स्मार्टफोन भारत में ही बनते हैं।

आँकड़ों का खेल देखिए: 2014 में जहाँ भारत में सिर्फ़ ₹18,900 करोड़ के स्मार्टफोन बनते थे, वहीं 2024 में यह आँकड़ा बढ़कर ₹4,22,000 करोड़ हो गया!

सिर्फ देश में ही नहीं, दुनिया में भी धूम: भारत अब सिर्फ़ अपनी ज़रूरतें ही पूरी नहीं कर रहा, बल्कि दुनिया के लिए भी स्मार्टफोन बना रहा है। 2015 में जहाँ भारत में बनने वाले सिर्फ़ 8% फोन निर्यात होते थे, वहीं आज यह आँकड़ा बढ़कर 36% से ज़्यादा हो गया है।

यह सब कैसे हुआ: इस बदलाव के पीछे सरकार की नीतियों और योजनाओं का बड़ा हाथ है। प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) जैसी योजनाओं ने विदेशी कंपनियों को भारत में फैक्ट्री लगाने और यहीं पर मोबाइल और उसके पार्ट्स बनाने के लिए प्रोत्साहित किया है।

आगे का रास्ता कैसा है: रिपोर्ट का अनुमान है कि 2030 तक भी स्मार्टफोन का दबदबा कायम रहेगा और यह सेगमेंट 23-25% की रफ़्तार से बढ़ेगा। यह आँकड़े सिर्फ़ नंबर नहीं हैं, बल्कि यह एक नए और आत्मनिर्भर भारत की कहानी कह रहे हैं, जहाँ टेक्नोलॉजी सिर्फ़ इस्तेमाल नहीं की जा रही, बल्कि बनाई जा रही है।