Up Kiran, Digital Desk: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार के दिन, वाशिंगटन में पत्रकारों से बातचीत के दौरान एक बड़ी घोषणा की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि भारत जल्द ही रूस से तेल का आयात बंद कर देगा। ट्रंप ने यह कदम युद्ध प्रभावित क्षेत्रों में शांति स्थापित करने के एक हिस्से के रूप में बताया है।
ट्रंप का मानना है कि यदि भारत रूस से तेल नहीं खरीदेगा, तो फरवरी 2022 में यूक्रेन में शुरू हुआ युद्ध शांतिपूर्ण द्वार खोल सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि चीन से के लिए भी ऐसा दबाव बनाना होगा कि वह रूसी तेल खरीदना बंद करे।
उनका कहना था, “वह (मोदी) मेरे मित्र हैं। हमारे बीच अच्छे संबंध हैं। हम ऐसे युद्ध के समर्थन में नहीं हैं जिसमें लोगों की जान जाए। मोदी ने मुझे आश्वासन दिया है कि भारत रूस से तेल नहीं खरीदेगा। यह एक बहुत बड़ा कदम है।”
भारत‑रूस तेल खरीद और विरोध की कहानी
पश्चिमी देश, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका, लंबे समय से भारत की रूस से तेल खरीद की आलोचना कर रहे हैं। उनका तर्क है कि इससे रूस युद्ध को जारी रखने में समर्थ हो रहा है। वहीं, भारत ने यह स्पष्ट किया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करेगा और ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता देगा।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी इस वर्ष अगस्त में विश्व नेता मंच पर कहा था कि यदि किसी को भारत की विदेश व्यापार नीति से आपत्ति है, तो वे चॉइस करें लेकिन भारत को दबाव में नहीं लाया जा सकता।
आंकड़े क्या कह रहे हैं?
ट्रंप के दावे के बावजूद, हालिया आंकड़े कुछ और बयां करते हैं। कमोडिटी और शिपिंग बाजार की कंपनी केप्लर का कहना है कि रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बना हुआ है। कुल कच्चे तेल आयात में रूस का हिस्सा लगभग 34 प्रतिशत है।
सितंबर में, रूस से आयातित कच्चे तेल की मात्रा अगस्त से बढ़ी है। वहीँ सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) के अनुसार भारत ने इस महीने लगभग 3.6 अरब यूरो मूल्य का रूसी जीवाश्म ईंधन खरीदा।
भारत और अमेरिका के बीच टकराव
अमेरिका ने रूस से भारत द्वारा तेल आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ लागू किया है। भारत ने इस कदम को अनुचित बताया है। भारत के वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री जयशंकर दोनों ने इस टैरिफ नीति की आलोचना की है।



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