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Up Kiran, Digital Desk: भारत में शहरी स्थानीय निकाय (ULBs) स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (SBM-U) के तहत घरेलू कचरा संग्रह के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) का तेजी से उपयोग कर रहे हैं। यह कदम न केवल कचरा प्रबंधन के तरीके को बदल रहा है, बल्कि पर्यावरण को भी बेहतर बना रहा है।

आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) द्वारा चलाए जा रहे इस मिशन का लक्ष्य शहरी भारत को स्वच्छ और हरा-भरा बनाना है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों की भूमिका लगातार महत्वपूर्ण होती जा रही है। पर्यावरण के लिए लाभकारी होने के साथ-साथ, ये वाहन कई तरह से फायदेमंद साबित हो रहे हैं:

प्रदूषण में कमी: इलेक्ट्रिक वाहन कार्बन उत्सर्जन और वायु प्रदूषण को काफी कम करते हैं। इससे शहरों की हवा स्वच्छ होती है और नागरिकों का स्वास्थ्य बेहतर होता है।

ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण: पारंपरिक डीजल या पेट्रोल वाहनों की तुलना में ईवी बहुत कम शोर करते हैं, जिससे शहरी क्षेत्रों में ध्वनि प्रदूषण में कमी आती है।

परिचालन लागत में बचत: इलेक्ट्रिक वाहनों के संचालन और रखरखाव की लागत पारंपरिक ईंधन वाले वाहनों की तुलना में काफी कम होती है। इससे शहरी स्थानीय निकायों के लिए परिचालन व्यय में बचत होती है, जिसका उपयोग अन्य विकास कार्यों में किया जा सकता है।

जलवायु लक्ष्यों में योगदान: भारत सरकार ने 2070 तक 'नेट ज़ीरो' उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है, और कचरा प्रबंधन में इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह देश को एक हरित और अधिक टिकाऊ भविष्य की ओर ले जाता है।

अब तक, देश भर में 22,000 से अधिक इलेक्ट्रिक वाहनों को कचरा संग्रह के लिए तैनात किया जा चुका है। यह दर्शाता है कि भारत टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने और शहरी स्वच्छता में सुधार के लिए कितना प्रतिबद्ध है।

 इलेक्ट्रिक वाहन स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के तहत घरेलू कचरा संग्रह में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन ला रहे हैं। यह पहल केवल कचरा एकत्र करने के बारे में नहीं है, बल्कि यह एक स्वस्थ, स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल शहरी भविष्य का निर्माण करने के बारे में है। यह भारत के हरित परिवर्तन की दिशा में एक मजबूत कदम है।

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