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Up Kiran, Digital Desk: भारत की रक्षा ताकत अब सिर्फ आज की सीमाओं तक नहीं बंधी है। आने वाले वर्षों में भारतीय सेना के हाथों में ऐसे हथियार पहुंचने वाले हैं, जिनके नाम भर से विरोधियों की चिंता बढ़ सकती है। खास बात यह है कि ये सभी परियोजनाएं पूरी तरह से मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के मॉडल पर खड़ी हैं। यानी भविष्य का युद्ध कौशल न केवल अत्याधुनिक होगा, बल्कि स्वदेशी ताकत से भी लैस होगा।

ब्रह्मोस-2: आवाज़ से तेज़ हथियार

ब्रह्मोस पहले ही अपनी रफ्तार और ताकत के कारण पूरी दुनिया में चर्चा का केंद्र रहा है। लेकिन अब भारत और रूस मिलकर ब्रह्मोस-2 का विकास कर रहे हैं, जो हाइपरसोनिक श्रेणी की मिसाइल होगी। यह मैक 7 तक की गति पकड़ सकती है। इतनी रफ्तार पर दुश्मन के पास न प्रतिक्रिया देने का समय होगा और न बचाव की गुंजाइश। रणनीतिक मोर्चे पर यह मिसाइल भारत की सबसे घातक संपत्ति साबित हो सकती है।

रुद्रम-4: दुश्मन की तकनीक पर सीधा वार

DRDO की रुद्रम मिसाइलें खासतौर पर दुश्मन के रडार और इलेक्ट्रॉनिक तंत्र को निष्क्रिय करने के लिए डिजाइन की जा रही हैं। श्रृंखला का अगला संस्करण, रुद्रम-4, 500 किलोमीटर से भी अधिक दूरी तक मार करने में सक्षम होगा। युद्ध के मैदान में यह मिसाइल दुश्मन की “आंख और कान” को पहले ही खत्म कर देगी, जिससे बाकी जंग अपेक्षाकृत आसान हो जाएगी।

तेजस मार्क-2: स्वदेशी आसमान की उड़ान

भारतीय वायुसेना का गौरव तेजस अब एक नए और आधुनिक रूप में लौटने वाला है। तेजस मार्क-2 मौजूदा संस्करण से कहीं बड़ा और ताकतवर होगा। इसमें ज्यादा ईंधन ले जाने की क्षमता, अत्याधुनिक हथियार, उन्नत एवियोनिक्स, AESA रडार और स्टील्थ तकनीक शामिल होंगे। अनुमान है कि 2026-27 तक इसकी पहली उड़ान हो सकती है। इसके साथ भारत आयात पर निर्भरता घटाकर आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ी छलांग लगाएगा।