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Up Kiran, Digital Desk: ऐसे समय में जब पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता का माहौल है, डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा है और व्यापारिक तनाव बढ़ रहा है, भारत के बैंकों की सेहत काफी मजबूत बनी हुई है. ग्लोबल रेटिंग एजेंसी एसएंडपी (S&P) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय बैंक किसी भी वैश्विक झटके को झेलने के लिए अच्छी तरह से तैयार हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय कंपनियों की वित्तीय हालत में भी लगातार सुधार हो रहा है, जिसका सीधा फायदा बैंकों को मिल रहा है. आइए जानते हैं कि भारतीय बैंकों की इस मजबूती के पीछे की मुख्य वजहें क्या हैं:
1. जोखिम भरे सेक्टर में कम हिस्सेदारी: जिन सेक्टरों पर वैश्विक तनाव, जैसे कि टैरिफ (आयात शुल्क) का सबसे ज्यादा असर पड़ता है, वहां भारतीय बैंकों ने बहुत कम कर्ज दिया है. रिपोर्ट के अनुसार, टेक्सटाइल (कपड़ा) और जेम्स-ज्वैलरी जैसे सेक्टरों में बैंकों का कुल लोन सिर्फ 2% है. इससे बैंकों का जोखिम काफी कम हो जाता है.
2. कंपनियों ने अपना कर्ज घटाया: बीते कुछ सालों में भारत की बड़ी कंपनियों ने अपने ऊपर से कर्ज का बोझ काफी कम किया है. इससे उनके डूबने का खतरा कम हो गया है, और बैंकों का पैसा भी ज्यादा सुरक्षित हो गया है.
3. सुरक्षित रिटेल लोन पर फोकस: बैंकों ने आजकल असुरक्षित लोन (जैसे पर्सनल लोन) की जगह सुरक्षित लोन (जैसे होम लोन, कार लोन) देने पर ज्यादा ध्यान दिया है, जिससे कर्ज वापसी की गारंटी बढ़ जाती है.
थोड़ी चिंता, पर घबराने की बात नहीं
एसएंडपी का मानना है कि आने वाले दो सालों में लोन की गुणवत्ता में थोड़ी गिरावट आ सकती है और खराब लोन (NPL) का स्तर 3.0% से 3.5% के बीच रह सकता है. खासकर छोटे बिजनेस को दिए गए लोन (10 लाख से कम), माइक्रोफाइनेंस और असुरक्षित पर्सनल लोन में थोड़ी दिक्कतें आ सकती हैं.
हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बैंकों का मुनाफा इतना अच्छा है कि वे इस संभावित नुकसान को आसानी से झेल सकते हैं.
कमजोर रुपये का भी असर नहीं
रिपोर्ट के मुताबिक, कमजोर होते रुपये का भी बैंकों पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि बैंकों की सिर्फ 5% उधारी विदेशी करेंसी में है. वहीं, कंपनियों ने भी अपनी 75% विदेशी उधारी को हेज (सुरक्षित) किया हुआ है.
एसएंडपी का कहना है कि भारतीय बैंक मजबूत स्थिति में हैं और देश के विकास में योगदान देने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.