Up Kiran, Digital Desk: सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के मौक़े पर 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' पर आयोजित राष्ट्रीय एकता दिवस परेड इस बार कई मायनों में ख़ास रही, लेकिन जिसने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा, वे थे हमारे देश के देसी कुत्ते। पहली बार इस परेड में भारतीय नस्ल के कुत्तों जैसे मुधोल हाउंड, चिप्पीपराई और रामपुर हाउंड ने अपने करतब और अनुशासन का शानदार प्रदर्शन किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में, इन देसी कुत्तों ने साबित कर दिया कि वे किसी भी विदेशी नस्ल से कम नहीं हैं। BSF (सीमा सुरक्षा बल) के जवानों के साथ क़दम से क़दम मिलाते हुए जब इन कुत्तों ने मार्च किया, तो पूरा माहौल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
क्यों ख़ास है यह क़दम: यह परेड सिर्फ़ एक इवेंट नहीं थी, बल्कि यह प्रधानमंत्री मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' और 'वोकल फ़ॉर लोकल' अभियान को ज़मीन पर उतारने का एक बड़ा प्रतीक थी। अब तक सेना और पुलिस के डॉग स्क्वॉड में जर्मन शेफर्ड और बेल्जियन मैलिनोइस जैसे विदेशी कुत्तों का ही दबदबा रहा है। लेकिन अब सरकार और सुरक्षा बल भारतीय नस्लों को भी उतना ही महत्व दे रहे हैं।
यह क़दम न सिर्फ़ इन देसी नस्लों को एक नई पहचान दिलाएगा, बल्कि देश के उन ब्रीडर्स को भी प्रोत्साहित करेगा जो इन नस्लों को बचाने और बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं।
कौन हैं ये देसी 'हीरो'?चिप्पीपराई: तमिलनाडु की यह नस्ल बहुत ही वफ़ादार और तेज़-तर्रार होती है।
रामपुर हाउंड: उत्तर भारत की यह नस्ल अपनी ताक़त और साहस के लिए मशहूर है।
इन कुत्तों को BSF ने ख़ास तौर पर ट्रेनिंग दी है, ताकि वे न सिर्फ़ परेड में हिस्सा ले सकें, बल्कि भविष्य में सीमा सुरक्षा और खोजी अभियानों में भी देश की मदद कर सकें
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