
Up Kiran, Digital Desk: विशाखापत्तनम में स्थित हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (HSL) का शिप रिपेयर कॉम्प्लेक्स (SRC) इन दिनों काफी व्यस्त नज़र आ रहा है। यहाँ जहाजों की डॉकिंग, यानी मरम्मत और रखरखाव के लिए जहाजों के आने-जाने में एक ज़बरदस्त बढ़ोतरी देखी जा रही है। यह एक बहुत ही सकारात्मक संकेत है।
इस बढ़ती हुई गतिविधि के पीछे मुख्य कारण है भारतीय नौसेना (Indian Navy)। नौसेना अब अपने जहाजों की मरम्मत के लिए ज़्यादा से ज़्यादा भारतीय सुविधाओं का इस्तेमाल कर रही है, बजाय इसके कि उन्हें मरम्मत के लिए विदेश भेजा जाए। यह हमारे प्रधानमंत्री के 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान का सीधा नतीजा है, जिसका मकसद देश को हर क्षेत्र में, खासकर रक्षा और सुरक्षा में, आत्मनिर्भर बनाना है।
जब नौसेना अपने जहाजों को मरम्मत के लिए एचएसएल जैसे घरेलू शिपयार्ड में भेजती है, तो इससे न केवल विदेशी मुद्रा बचती है, बल्कि हमारे अपने शिपयार्ड को भी काम मिलता है। एचएसएल शिप रिपेयर कॉम्प्लेक्स को इससे ज़्यादा से ज़्यादा ऑर्डर मिल रहे हैं, जिससे उनकी क्षमता का पूरा इस्तेमाल हो रहा है। यह दिखाता है कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए खुद पर भरोसा कर रहा है और अपनी क्षमताओं को बढ़ा रहा है।
जहाजों की डॉकिंग में यह बढ़ोतरी सिर्फ एचएसएल के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विशाखापत्तनम शहर के लिए भी अच्छी खबर है। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलता है और संबंधित उद्योगों को भी फायदा होता है।
भारतीय नौसेना द्वारा एचएसएल शिप रिपेयर कॉम्प्लेक्स को प्राथमिकता देना, 'आत्मनिर्भर भारत' की भावना को मज़बूत करता है और दिखाता है कि कैसे हम अपनी ज़रूरतों के लिए घरेलू क्षमताओं पर निर्भर हो रहे हैं। एचएसएल शिप रिपेयर कॉम्प्लेक्स का यह व्यस्त होना भारत की बढ़ती हुई समुद्री और रक्षा क्षमताओं का प्रतीक है।
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