Up Kiran, Digital Desk: अगर आपके पास कोई बीमा पॉलिसी है, चाहे वह गाड़ी की हो, स्वास्थ्य की हो या जीवन बीमा हो, तो यह खबर आपके चेहरे पर मुस्कान ला सकती है। केंद्र सरकार ने सभी बीमा कंपनियों को एक सख्त निर्देश जारी किया है, जिसका सीधा फायदा आम आदमी यानी पॉलिसीधारकों को मिलने वाला है।
सरकार ने बीमा कंपनियों से साफ-साफ कहा है कि वे इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के रूप में जो भी फायदा कमा रही हैं, उसे अपनी जेब में न रखें, बल्कि इसका लाभ सीधे अपने ग्राहकों तक पहुंचाएं।
क्या है यह पूरा मामला, सरल भाषा में समझिए
जब कोई बीमा कंपनी कोई सेवा लेती है या कोई सामान खरीदती है (जैसे गैरेज से सर्विस, हॉस्पिटल से सेवाएं), तो उस पर वह GST चुकाती है। बाद में, जब वह आपसे पॉलिसी का प्रीमियम लेती है, तो उस पर भी GST वसूलती है। नियम के अनुसार, कंपनी सरकार को GST चुकाते समय उस टैक्स को घटा सकती है जो वह पहले ही दूसरी सेवाओं पर दे चुकी है। इसे ही 'इनपुट टैक्स क्रेडिट' या ITC कहते हैं।
शिकायतें मिल रही थीं कि कई बीमा कंपनियां ITC का यह फायदा खुद तो ले रही थीं, लेकिन इसका लाभ प्रीमियम घटाकर या किसी और तरीके से अपने ग्राहकों को नहीं दे रही थीं। यानी, कंपनी की लागत तो कम हो रही थी, लेकिन ग्राहक उतनी ही महंगी पॉलिसी खरीद रहा था।
सरकार ने क्या कहा: वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले राजस्व विभाग ने इस पर संज्ञान लेते हुए एक स्पष्ट निर्देश जारी किया है। उन्होंने बीमा नियामक IRDAI को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि सभी जनरल और हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां GST के एंटी-प्रॉफिटियरिंग यानी मुनाफाखोरी-विरोधी नियमों का सख्ती से पालन करें।
इसका सीधा मतलब है कि बीमा कंपनियों को ITC से होने वाली बचत का फायदा ग्राहकों को देना ही होगा। यह फायदा या तो प्रीमियम कम करके दिया जा सकता है या फिर पॉलिसी के फायदे बढ़ाकर।
यह कदम सरकार की उस कोशिश का हिस्सा है जिसमें वह यह सुनिश्चित करना चाहती है कि टैक्स सुधारों का लाभ सिर्फ कंपनियों तक सीमित न रहे, बल्कि उसका असली फायदा आम जनता तक भी पहुंचे।
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