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Up Kiran, Digital Desk: श्रीनगर से दिल्ली तक एक ही सवाल घूम रहा है। अगर चार-पांच लोग गुनाह करते हैं तो क्या पूरे समुदाय को शक की नजर से देखा जाना चाहिए? जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पिछले कुछ दिनों से यही पूछ रहे हैं और उनकी यह पीड़ा अब खुल कर सामने आ रही है।

दिल्ली में लाल किले के पास जो कार बम धमाका हुआ उसमें शामिल सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल के कुछ लोग कश्मीर से ताल्लुक रखते हैं। इनमें डॉक्टर भी हैं। बस यही बात काफी हो गई कि एक बार फिर पूरे कश्मीर को संदेह की नजर से देखा जाने लगा। होटल वाले कमरा देने से पहले दस बार सोचते हैं। किराए का मकान ढूंढो तो मालिक पूछता है “कश्मीर से हैं?” और बात वहीं खत्म। उमर अब्दुल्ला कहते हैं कि अब तो हालत यह है कि जम्मू-कश्मीर नंबर की गाड़ी लेकर दिल्ली की सड़कों पर निकलना भी डर लगता है। कहीं कोई रोकेगा और पूछेगा “कहां से आए हो भाई? वहां क्या करते हो?”

उनका सीधा सवाल है – गुनहगार कुछ लोग हैं लेकिन बदनामी सारी कौम की क्यों हो रही है?

बुधवार को दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में पत्रकारों से बात करते हुए उमर ने पुराना जख्म फिर कुरेद दिया। उन्होंने याद दिलाया कि 2019 में जब अनुच्छेद 370 हटाया गया और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया तब केंद्र सरकार ने कहा था कि अब आतंकवाद खत्म हो जाएगा। बम धमाके रुक जाएंगे। आम लोगों की हत्याएं बंद हो जाएंगी। लेकिन छह साल बाद भी वही खून-खराबा जारी है। अब तो हमले दिल्ली तक पहुंच गए।

उमर की आवाज में दर्द भी है और गुस्सा भी। वे कहते हैं “हम चाहते हैं कि यह सब रुक जाए। कश्मीर ने पिछले पैंतीस साल में बहुत लाशें देखी हैं। हमें कहा गया था कि 2019 के बाद सब ठीक हो जाएगा। लेकिन कुछ नहीं बदला। अगर यह धमाका दिल्ली में नहीं हुआ होता तो कश्मीर की किसी गली में हो रहा होता।”

सबसे बड़ी तकलीफ उन्हें इस बात की है कि अब कश्मीरी मां-बाप अपने बच्चों को घाटी के बाहर पढ़ने भेजने से डरते हैं। पहले सपना होता था कि बेटा-बेटी दिल्ली बेंगलुरु या पुणे जाएगा अच्छी पढ़ाई करेगा। आज वही मां-बाप सोचते हैं कि बाहर भेजा तो कहीं शक की वजह से परेशान न हो जाए। कहीं कोई यह न पूछ बैठे कि तुम कश्मीर से हो तो कुछ गलत तो नहीं करने आए हो।

यह सिर्फ उमर अब्दुल्ला की नहीं पूरी कश्मीर घाटी की पीड़ा बन गई है। कुछ लोग गलत रास्ते पर चले गए और सजा पूरे इलाके को मिल रही है। नौजवान जो कभी गर्व से कहता था “मैं कश्मीरी हूं” आज वह बात कहते हुए हिचकिचाता है।