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Up Kiran, Digital Desk: मनीकंट्रोल (Moneycontrol) पर प्रकाशित एक राय (Opinion) लेख के अनुसार, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) बाजार के पुनर्गठन (Market Overhaul) में 'व्यापार में सुगमता' (Ease of Doing Business) को प्राथमिकता दे रहा है। यह लेख इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे SEBI अपने नियामक ढांचे (Regulatory Framework) में ऐसे बदलाव ला रहा है, जिनका उद्देश्य भारत के वित्तीय बाजारों (Financial Markets) को निवेशकों और व्यवसायों के लिए अधिक सुलभ और कुशल बनाना है।

SEBI का 'व्यापार में सुगमता' पर जोर:लेख के अनुसार, SEBI की हालिया नीतियां और निर्णय इस दिशा में स्पष्ट संकेत देते हैं कि नियामक   बाजार सहभागियों (Market Participants) के लिए अनुपालन (Compliance) प्रक्रियाओं को सरल बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इसमें संभवतः शामिल हो सकते हैं:

नियामक प्रक्रियाओं का सरलीकरण: नई कंपनियों के लिए बाजार में प्रवेश करना, लिस्टिंग (Listing) की प्रक्रिया को आसान बनाना, और मौजूदा नियमों का पालन करना अधिक सुगम बनाया जा रहा है।

निवेशक-अनुकूल नीतियां: निवेशकों के हितों की रक्षा के साथ-साथ, उनके लिए निवेश के अवसरों को बढ़ाना और धोखाधड़ी (Fraud) के जोखिम को कम करना भी SEBI की प्राथमिकताओं में शामिल है।

तकनीकी उन्नयन: डिजिटल प्लेटफॉर्म (Digital Platforms) और नई तकनीकों का उपयोग करके बाजार की दक्षता (Market Efficiency) और पारदर्शिता (Transparency) को बढ़ाना, जिससे व्यापार में आसानी हो।

पूंजी बाजार का विकास: भारतीय पूंजी बाजारों (Capital Markets) को मजबूत करने और उन्हें वैश्विक मानकों के अनुरूप लाने के लिए निरंतर प्रयास।

बाजार सुधारों का महत्व: SEBI का यह दृष्टिकोण भारत में निवेश के माहौल (Investment Climate) को बेहतर बनाने और अधिक घरेलू और विदेशी निवेश (Domestic and Foreign Investment) को आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जब व्यापार करना आसान होता है, तो अधिक कंपनियां बाजार में आती हैं, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ती है और अंततः निवेशकों को लाभ होता है। यह कदम भारत को एक मजबूत वित्तीय केंद्र (Financial Hub) के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।

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