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Up Kiran, Digital Desk: अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वांस ने हाल ही में कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अभी तक यह फैसला नहीं लिया है कि चीन से रूस द्वारा खरीदे गए तेल पर कोई शुल्क लगाया जाएगा या नहीं। हालांकि, ट्रंप इस मामले पर विचार कर रहे हैं, लेकिन उनका कहना है कि अभी तक इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। वांस ने 'फॉक्स न्यूज संडे' पर कहा, "राष्ट्रपति इस पर विचार कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने अभी कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।" जब उनसे पूछा गया कि अगर ट्रंप भारत जैसे देशों पर रूस से तेल खरीदने के कारण भारी शुल्क लगा रहे हैं, तो क्या अमेरिका चीन पर भी ऐसा करेगा, वांस ने इसका जवाब देते हुए कहा, "चीन का मामला थोड़ा जटिल है, क्योंकि हमारा चीन के साथ रिश्ते कई अन्य पहलुओं को प्रभावित करते हैं जो रूस के मुद्दे से संबंधित नहीं हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप "अपनी सभी संभावनाओं का मूल्यांकन कर रहे हैं और निश्चित रूप से उचित समय पर इस पर निर्णय लेंगे।"

भारत पर भारी शुल्क, लेकिन चीन पर चुप्पी क्यों?

अगर अमेरिका ने भारत पर रूस से तेल खरीदने के कारण 25% शुल्क लगाया, तो सवाल यह उठता है कि ट्रंप चीन पर इसका निर्णय क्यों नहीं ले रहे, जबकि चीन भी रूस से तेल खरीद रहा है। जुलाई में चीन ने रूस से लगभग 10 बिलियन डॉलर का कच्चा तेल खरीदा था, और इसके बावजूद ट्रंप के द्वारा चीन पर कोई भी शुल्क लगाने की बात सामने नहीं आई है।

यह स्थिति काफी दिलचस्प है क्योंकि ट्रंप ने पहले भारत पर ही कड़ा रुख अपनाया था। पिछले हफ्ते, ट्रंप ने दिल्ली पर अतिरिक्त 25% शुल्क लगाया था, जिससे भारत पर कुल शुल्क 50% हो गया, जो कि दुनिया में किसी देश पर लगे सबसे उच्चतम शुल्कों में से एक है। इस शुल्क का असर अगस्त 27 से लागू होगा, और भारत ने इसे 'अनावश्यक और अन्यायपूर्ण' करार दिया है।

तो फिर ट्रंप चीन के खिलाफ कड़ा कदम क्यों नहीं उठा रहे? क्या उनके दिमाग में चीन को लेकर कुछ और खौफ है?

ट्रंप का डर: दुर्लभ खनिजों की आपूर्ति

दरअसल, ट्रंप का डर इस बात से जुड़ा हुआ है कि अगर वह चीन पर भारी शुल्क लगाते हैं, तो चीन एक बार फिर दुर्लभ खनिजों की आपूर्ति पर प्रतिबंध लगा सकता है। अमेरिका इस समय चीन पर बहुत निर्भर है इन खनिजों के लिए। दुनिया के लगभग 70% दुर्लभ खनिज चीन में पाए जाते हैं, और इन खनिजों की शोधन प्रक्रिया का 90% काम भी चीन ही करता है। इन खनिजों का उपयोग रक्षा उपकरणों, हाई-टेक उद्योग और वाहन निर्माण में होता है। अगर चीन इन खनिजों की आपूर्ति बंद कर देता है, तो अमेरिका के लिए यह एक बड़ी समस्या बन सकती है।

दुर्लभ खनिज क्या होते हैं?

दुर्लभ खनिज दरअसल 17 तत्वों का समूह होते हैं। इनमें से 15 तत्व लैंथेनाइड श्रृंखला से होते हैं। इनमें लांथेनियम, सेरियम, नियोडिमियम, प्रोमेथियम, समेरियम, यूरोपीय, टर्बियम, डाइसप्रोशियम, प्रासीडियम, होल्मियम, अर्बियम, यिट्रियम, गैडोलिनियम, थूलियम और ल्यूटिटियम जैसे तत्व शामिल हैं। इसके अतिरिक्त स्कैंडियम और यिट्रियम भी दुर्लभ खनिजों में शामिल हैं।

अमेरिका इस समय चीन से इन खनिजों के अलावा किसी और देश से इनका विकल्प खोजने की कोशिश कर रहा है, लेकिन यह एक लंबी प्रक्रिया हो सकती है।

क्या चीन से व्यापार युद्ध की टेंशन फिर से बढ़ेगी?

वर्तमान में, अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध लगातार जारी है, और ट्रंप ने चीन को कई बार अपने टैरिफ के कारण झटका दिया है। आखिरी बार जब ट्रंप ने चीन पर शुल्क बढ़ाया था, तो चीन ने दुर्लभ खनिजों की आपूर्ति बंद कर दी थी, और इससे अमेरिका में खलबली मच गई थी। अब ट्रंप के सामने यह दुविधा है कि वे चीन पर किस हद तक दबाव डालें।

अगर वह चीन पर कठोर कदम उठाते हैं तो अमेरिका की तकनीकी और रक्षा क्षमता प्रभावित हो सकती है, जो कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे का कारण बन सकता है। यही कारण है कि ट्रंप ने चीन के साथ एक 90 दिन का समय तय किया है ताकि दोनों देश आपसी बातचीत के माध्यम से कोई हल निकाल सकें।

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