Up Kiran, Digital Desk: मेडिकल साइंस ने एक ऐसी हैरान करने वाली खोज की है, जो मोटर न्यूरॉन डिजीज (Motor Neurone Disease - MND) जैसी गंभीर और लाइलाज बीमारी से जूझ रहे लाखों लोगों के लिए उम्मीद की एक नई किरण लेकर आई है. ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पाया है कि हमारी जीभ में इस खतरनाक बीमारी का पता लगाने और उस पर नजर रखने के महत्वपूर्ण सुराग छिपे हो सकते हैं.
क्या है मोटर न्यूरॉन डिजीज (MND)?
यह एक भयानक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जिसमें दिमाग और रीढ़ की हड्डी की नसें (न्यूरॉन्स) धीरे-धीरे काम करना बंद कर देती हैं. इससे शरीर की मांसपेशियों तक संदेश पहुंचना बंद हो जाता है, और व्यक्ति धीरे-धीरे चलने-फिरने, बोलने, निगलने और यहां तक कि सांस लेने की क्षमता भी खो देता है. महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग भी इसी बीमारी से पीड़ित थे. इस बीमारी का कोई सटीक इलाज नहीं है.
जीभ में कैसे छिपा है बीमारी का राज?
अब तक डॉक्टर इस बीमारी की प्रगति को मापने के लिए सांस लेने की क्षमता की जांच या एमआरआई (MRI) जैसे जटिल और महंगे टेस्ट पर निर्भर रहते थे. लेकिन अब, वैज्ञानिकों ने एक बहुत ही सरल, सस्ता और दर्द रहित तरीका खोज निकाला है - जीभ का अल्ट्रासाउंड.
स्टडी में क्या पाया गया:
वैज्ञानिकों ने MND के मरीजों और स्वस्थ लोगों की जीभ का अल्ट्रासाउंड स्कैन किया.
उन्होंने पाया कि बीमारी बढ़ने के साथ-साथ मरीजों की जीभ में दो बड़े बदलाव आते हैं - एक तो जीभ पतली होने लगती है, और दूसरा, अल्ट्रासाOUND में उसकी चमक (echogenicity) बढ़ जाती है.
ये बदलाव इतने सटीक थे कि वे मरीज के जीवित रहने की दर का भी अनुमान लगा सकते थे.
इस खोज से क्या फायदा होगा?
आसान और सस्ती जांच: अल्ट्रासाउंड एक आम तकनीक है जो अस्पतालों में आसानी से उपलब्ध है. यह एमआरआई की तरह महंगी और असुविधाजनक नहीं है.
बीमारी पर बेहतर नजर: इससे डॉक्टर आसानी से और बार-बार जांच करके यह देख पाएंगे कि बीमारी कितनी तेजी से बढ़ रही है और दवाइयां काम कर रही हैं या नहीं.
नई दवाओं के परीक्षण में मदद: किसी भी नई दवा का ट्रायल करते समय यह जानना बहुत जरूरी होता है कि वह बीमारी की गति को धीमा कर रही है या नहीं. जीभ का यह साधारण सा स्कैन इस काम में बहुत मददगार साबित हो सकता है.
यह खोज मोटर न्यूरॉन डिजीज के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ा मील का पत्थर साबित हो सकती है. यह एक साधारण से अंग यानी हमारी जीभ को एक शक्तिशाली हथियार में बदल देती है, जो डॉक्टरों को इस जटिल बीमारी को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगी.
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