
पूर्व भारतीय कप्तान और BCCI अध्यक्ष सौरव गांगुली ने BCCI सचिव जय शाह पर खुलकर प्रशंसा की है। एक हालिया इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि उन्हें जय शाह से ‘खास तरह की सख्ती या जिद’ की उम्मीद थी, लेकिन वह जो मिले वे उससे कहीं बेहतर हैं – ईमानदार, समझदार और साफ न्याय करने वाले।
गांगुली ने बताया कि कुछ लोग सोचते हैं कि जय शाह राजनीति से प्रेरित होंगे क्योंकि वे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पुत्र हैं। लेकिन उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, “उनके पिता राजनीतिज्ञ हैं, पर जय खुद प्रशासनिक रूप से बेहद कुशल और निष्पक्ष हैं।”
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जय शाह ने गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन में पिछले 6‑7 साल में अपनी मेहनत और नीतियों से पद बनाया है। जब वे BCCI सचिव बने, तो उन्होंने बोर्ड की कार्यशैली को बेहतर और पारदर्शी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गांगुली ने कहा, “वह समायोजित हैं, ऑर्गेनाइज करने में अच्छे हैं और भारतीय क्रिकेट के हित में सक्रिय रूप से काम करते हैं।”
इसी इंटरव्यू में गांगुली ने यह भी कहा कि जय शाह को “जायज़ सम्मान” मिलना चाहिए, क्योंकि खिलाड़ियों की ही तरह उन्हें भी उनके कर्तव्यों के आधार पर आंका जाना चाहिए, न कि किसी ऊँचे राजनीतिक रिश्ते की वजह से।
यह बयान भारत में बढ़ती ‘नेपोटिज्म’ की बहस में एक अलग पहलू देता है, जहां सौरव जैसे बड़े खिलाड़ी ने खुले दिल से जय शाह की भूमिका की सराहना की। उनके मुताबिक, यह साबित करता है कि क्रिकेट प्रशासन में पारदर्शिता, मेहनत और प्रतिभा ही सफलता का आधार हो सकती हैं।
सारांश पॉइंट्स
गांगुली को जय शाह से ‘ज़िद’ या ‘सख्ती’ की उम्मीद थी लेकिन उन्हें मिले ईमानदारी और विवेक ने प्रभावित किया।
जय शाह को राजनीति से अलग आंका जाना चाहिए; उन्होंने BCCI में बेहतरी लाने में अहम भूमिका निभाई।
‘नेपोटिज्म’ की चर्चाओं के बीच यह बयान विपक्ष के लिए एक मजबूत उदाहरण है कि योग्यता और काम दोनों परखने चाहिए।
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