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Up Kiran, Digital Desk: बिहार के जमुई विधानसभा क्षेत्र में इस बार चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है। 11 नवंबर को दूसरे चरण के चुनाव में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), और जन सुराज पार्टी (जसपा) के बीच कड़ी टक्कर होगी। राजनीतिक गलियारों में यह सीट चर्चा का केंद्र बन चुकी है।

भा.ज.पा. की भरोसेमंद उम्मीदवार - श्रेयसी सिंह

भा.ज.पा. ने एक बार फिर जमुई सीट से प्रसिद्ध निशानेबाज और मौजूदा विधायक श्रेयसी सिंह को उम्मीदवार बनाया है। उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि भी बहुत मजबूत है, क्योंकि वह पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह की बेटी हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में, उन्होंने राजद के विजय प्रकाश यादव को 41,049 मतों के विशाल अंतर से हराया था। उनकी जीत इस बात का संकेत देती है कि जमुई में उनका प्रभाव कितना गहरा है।

राजद का मुस्लिम-यादव गठबंधन और शमशाद आलम

लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद ने इस बार जमुई से मोहम्मद शमशाद आलम को मैदान में उतारा है। इस क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय की महत्वपूर्ण आबादी को देखते हुए राजद का पारंपरिक मुस्लिम-यादव (एमवाई) वोट बैंक भाजपा के खिलाफ उनके लिए एक मजबूत सहारा हो सकता है। आलम की उम्मीदवारी, खासकर मुस्लिम वोटों को ध्यान में रखते हुए, इस चुनावी मुकाबले को और भी दिलचस्प बना देती है।

नवोदित जसपा और अनिल प्रसाद साह

इस चुनाव में एक नया आयाम जोड़ते हुए, जन सुराज पार्टी (जसपा) ने अनिल प्रसाद साह को जमुई से उम्मीदवार बनाया है। यह पार्टी और उम्मीदवार चुनावी मैदान में एक नया रुझान उत्पन्न कर सकते हैं, जो भाजपा और राजद के स्थापित वोट बैंक को चुनौती दे सकता है।

जमुई विधानसभा क्षेत्र का चुनावी इतिहास

जमुई विधानसभा बिहार के 243 निर्वाचन क्षेत्रों में से एक प्रमुख सीट है। 2020 के विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र में कुल 2,95,169 मतदाता थे, जिनमें से 1,56,815 पुरुष और 1,38,343 महिला मतदाता थे।

2020 में, भाजपा की उम्मीदवार श्रेयसी सिंह ने राजद के विजय प्रकाश यादव को 41,049 वोटों के अंतर से हराया था। उनका कुल वोट शेयर 43.89% था। वहीं, 2015 के विधानसभा चुनाव में राजद के विजय प्रकाश यादव ने भाजपा के अजय प्रताप को 8,249 वोटों के अंतर से हराया था, और उनका वोट शेयर 42.24% था।

जमुई की सियासी जंग का भविष्य

जमुई का चुनावी गणित 2020 के चुनाव परिणामों को ध्यान में रखते हुए यह संकेत देता है कि इस बार भी कांटे की टक्कर हो सकती है। भाजपा, राजद और जसपा के बीच यह चुनावी मुकाबला राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि यहाँ के वोट बैंक को लेकर सभी प्रमुख दल अपनी रणनीतियाँ बना रहे हैं।

क्या इस बार जमुई की जनता फिर से भाजपा की उम्मीदवार श्रेयसी सिंह को आशीर्वाद देगी? या फिर राजद के मुस्लिम-यादव गठबंधन को फायदा मिलेगा? जसपा की भी अब तक की भूमिका को देखते हुए, इस सीट पर दिलचस्प नतीजे आ सकते हैं।