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Up kiran,Digital Desk : शुक्रवार की सुबह उत्तर प्रदेश में नशे के काले कारोबार से जुड़े सिंडिकेट के लिए क़यामत बनकर आई। जब लोग अपने दिन की शुरुआत कर ही रहे थे, तभी प्रवर्तन निदेशालय (ED), यानी पैसों के लेन-देन की जांच करने वाली सबसे बड़ी एजेंसी, की टीमों ने एक साथ 25 दरवाजों पर दस्तक दे दी। लखनऊ से लेकर वाराणसी, अहमदाबाद, जौनपुर और सहारनपुर तक, हर जगह हड़कंप मच गया।

यह कार्रवाई उस बड़े 'कफ सिरप कांड' की अगली कड़ी है, जिसकी परतें लखनऊ पुलिस ने कुछ महीने पहले खोलनी शुरू की थीं। यह सिर्फ खांसी की दवा का मामला नहीं, बल्कि उसकी आड़ में चलने वाले नशे के एक बहुत बड़े नेटवर्क का है।

कैसे खुला था यह पूरा मामला?

इस पूरे खेल का सिरा जुड़ा था लखनऊ के कृष्णानगर में रहने वाले दीपक मानवानी से, जिसे पुलिस ने 11 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। जब पुलिस और औषधि विभाग की टीम ने उसके घर पर छापा मारा, तो उनकी आंखें खुली की खुली रह गईं। वहां खांसी में दी जाने वाली कोडीन युक्त सिरप, टैबलेट और इंजेक्शन का इतना बड़ा जखीरा मिला, जो आमतौर पर नशेड़ी इस्तेमाल करते हैं।

एक ने मुँह खोला, तो खुलती चली गई पूरी चेन

पुलिस की पूछताछ में दीपक ने जब मुँह खोला, तो इस नेटवर्क के और भी तार सामने आ गए। उसने बताया कि वह यह 'माल' दो लोगों, सूरज मिश्र और प्रीतम सिंह, से खरीदता था और फिर नशेड़ियों को ऊंची कीमतों पर बेचता था।

पुलिस ने जाल बिछाया और गुरुवार को इन दोनों को भी दबोच लिया। इनमें से एक, सूरज मिश्र, तो 'न्यू मंगलम आयुर्वेदिक' नाम से दवा की एजेंसी चलाता था, यानी दवाई की आड़ में नशे का पूरा खेल चल रहा था। दूसरा साथी, प्रीतम, एक रेस्टोरेंट में काम करता था। इस नेटवर्क का एक और सदस्य आरुष सक्सेना अभी भी फरार है।

अब ED क्यों आई मैदान में?

जब पुलिस की जांच इस सिंडिकेट की जड़ें और पैसों के बड़े लेन-देन तक पहुंची, तो मामला ED के हाथ में आ गया। ED अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस काले कारोबार से कमाया गया करोड़ों रुपया कहाँ लगाया गया है? इस नेटवर्क में और कौन-कौन से 'बड़े खिलाड़ी' शामिल हैं? और यह सिंडिकेट सिर्फ UP तक ही सीमित है या इसके तार दूसरे राज्यों से भी जुड़े हैं?

आज की यह बड़ी छापेमारी इसी काले धन और सिंडिकेट की कमर तोड़ने के लिए की गई है।