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Up Kiran, Digital Desk: लद्दाख में बीते कुछ दिनों से चल रहा विरोध-प्रदर्शन अब एक अलग ही मोड़ ले चुका है। राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल होने की मांग कर रहे लोगों का आक्रोश उस समय चरम पर पहुंच गया जब अनशन में शामिल दो महिलाओं की मौत की झूठी खबर जंगल में आग की तरह फैल गई। इस एक अफवाह ने इलाके में पहले से मौजूद असंतोष को हिंसा में बदल दिया।

जनता की भावनाओं से भड़की हिंसा

सोनम वांगचुक के नेतृत्व में चल रहा शांतिपूर्ण अनशन अपने 15वें दिन पर पहुंच चुका था। इसी दौरान दो महिला समर्थकों की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया। इलाज के दौरान सोशल मीडिया पर उनकी मौत की अफवाह फैल गई, जिससे पहले से आंदोलित भीड़ और भड़क उठी। युवाओं का एक बड़ा समूह सड़क पर उतर आया, रास्ते जाम किए गए और सरकारी इमारतों पर हमला कर दिया गया।

भीड़ ने बीजेपी दफ्तर को बनाया निशाना

गुस्से से भरे प्रदर्शनकारियों ने केवल सड़कों तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि कई इलाकों में सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया। लेह में बीजेपी कार्यालय को आग के हवाले कर दिया गया, और कई वाहन भी तोड़े गए। पुलिस और सुरक्षा बलों के साथ प्रदर्शनकारियों की झड़पें हुईं। एक सीआरपीएफ वाहन को भी आग लगा दी गई।

सोनम वांगचुक का बयान और राजनीतिक विवाद

बीजेपी के प्रवक्ता अमित मालवीय ने आरोप लगाया कि इस हिंसा में कांग्रेस के पार्षद फुंटसोग स्टैनज़िन त्सेपाग का हाथ है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सोनम वांगचुक ने कहा कि कांग्रेस का प्रभाव इतना नहीं कि वो हजारों युवाओं को सड़कों पर उतार सके। उन्होंने बताया कि वह पार्षद अस्पताल इसलिए पहुंचा था क्योंकि घायल महिलाएं उसके गांव की थीं।

हिंसा की कीमत: चार प्रदर्शनकारी मरे, कई घायल

इस हिंसक घटनाक्रम में चार प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई जबकि 50 से अधिक लोग घायल हुए। सुरक्षाकर्मियों की ओर से भी 30 से ज्यादा जवानों के घायल होने की खबर है। पुलिस ने मामले में ओपन एफआईआर दर्ज की है और फिलहाल स्थिति पर नियंत्रण पा लिया गया है।

प्रशासन की सख्ती और अगला कदम

लेह और कारगिल में प्रशासन ने एहतियातन कई पाबंदियां लगाई हैं। इंटरनेट सेवाएं आंशिक रूप से बंद कर दी गई हैं और संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है। सूत्रों के अनुसार, आज लद्दाख के प्रतिनिधियों का एक दल गृह मंत्रालय से मिलकर अपनी मांगें दोहराएगा।