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Up Kiran, Digital Desk: कर्नाटक में अब सरकारी कामकाज में कन्नड़ भाषा को उसका पूरा हक मिलने वाला है! राज्य के मंत्री शरणप्रकाश पाटिल ने जिला प्रशासन के सभी अधिकारियों को साफ निर्देश दिए हैं कि वे अपने दैनिक कामकाज में कन्नड़ भाषा का पूरी तरह से इस्तेमाल करें। यह कदम कन्नड़ भाषा को बढ़ावा देने और आम जनता को सरकारी सेवाओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद करने के लिए उठाया गया है।

मंत्री शरणप्रकाश पाटिल ने इस बात पर जोर दिया कि जब जनता सरकारी कार्यालयों में आती है, तो उन्हें अपनी भाषा (कन्नड़) में बात करने और अपनी समस्याओं को समझाने में आसानी होनी चाहिए। उनका मानना है कि अगर अधिकारी स्थानीय भाषा का प्रयोग नहीं करते हैं, तो इससे नागरिकों को परेशानी होती है और सरकारी सेवाओं तक उनकी पहुंच प्रभावित होती है।

क्या हैं मंत्री के कड़े निर्देश?

अनिवार्यता: पाटिल ने स्पष्ट किया कि चाहे अधिकारी राज्य के हों या बाहर के, सभी को जिला प्रशासन के भीतर कन्नड़ भाषा का उपयोग करना अनिवार्य है। कोई भी अधिकारी यह बहाना नहीं बना सकता कि उसे कन्नड़ नहीं आती।

हर काम में कन्नड़: उन्होंने निर्देश दिए कि फॉर्म भरने से लेकर फाइलों को निपटाने तक, सभी आधिकारिक संचार और रिकॉर्ड में कन्नड़ भाषा का ही प्रयोग किया जाए।

विभागों पर विशेष जोर: राजस्व, पुलिस और शिक्षा जैसे विभागों पर विशेष ध्यान देने को कहा गया, क्योंकि ये सीधे जनता से जुड़े होते हैं और यहां कन्नड़ का उपयोग सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।

प्रशिक्षण और निगरानी: मंत्री ने यह भी कहा कि जिन अधिकारियों को कन्नड़ में दक्षता हासिल करने की जरूरत है, उन्हें उचित प्रशिक्षण दिया जाए। साथ ही, कन्नड़ के पूर्ण कार्यान्वयन की नियमित निगरानी भी की जाएगी।

कार्रवाई की चेतावनी: सबसे अहम बात, उन्होंने कड़ी चेतावनी दी कि जो अधिकारी कन्नड़ भाषा के प्रयोग में लापरवाही दिखाएंगे या जानबूझकर इसका पालन नहीं करेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

यह कदम कर्नाटक की भाषाई और सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करने के साथ-साथ सरकारी कामकाज में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। उम्मीद है कि इन निर्देशों के बाद प्रशासन और जनता के बीच की भाषाई खाई कम होगी और सरकारी सेवाएं अधिक सुलभ बनेंगी।

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