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Up Kiran, Digital Desk: विशाखापत्तनम में इस समय भक्ति और आस्था का अद्भुत माहौल है! शिव भक्तों की 'कांवड़ यात्रा' ने शहर को अपनी रौनक से भर दिया है। चारों ओर 'बम-बम भोले' और 'हर-हर महादेव' के जयकारे गूंज रहे हैं, और भक्तों का उत्साह देखने लायक है।

यह यात्रा भगवान शिव को समर्पित होती है, जिसमें भक्त अपने कंधों पर कांवड़ (एक खास तरह की बहंगी) में पवित्र गंगा जल लेकर पैदल चलते हैं। इस जल को वे बाद में शिवलिंग पर अर्पित करते हैं, जिसे 'जलाभिषेक' कहते हैं।

शहर में उमड़ी भक्तों की भीड़ विशाखापत्तनम में भी बड़ी संख्या में शिव भक्त इस यात्रा का हिस्सा बने। महिलाएँ, पुरुष, युवा और बुजुर्ग - सभी उत्साह के साथ इस पवित्र यात्रा में शामिल हुए। सड़कों पर भक्तों की टोलियाँ रंग-बिरंगे परिधानों में चलती दिखीं, हाथों में कांवड़ और ज़ुबान पर शिव के भजन। यह नजारा सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि एक सामाजिक सद्भाव का भी प्रतीक था।

भक्ति और समर्पण का प्रतीक यह कांवड़ यात्रा न सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह भक्तों की अगाध आस्था, दृढ़ संकल्प और सामुदायिक भावना का भी प्रतीक है। लंबी दूरी पैदल तय करना, विपरीत परिस्थितियों में भी शिव भक्ति में लीन रहना, यह सब कांवड़ियों के समर्पण को दर्शाता है। शहर में कई जगहों पर स्थानीय लोगों और संगठनों द्वारा सेवा शिविर भी लगाए गए थे, जहाँ भक्तों के लिए पानी, भोजन और आराम की व्यवस्था की गई थी।

यात्रा का मुख्य उद्देश्य शहर के विभिन्न शिव मंदिरों में शिवलिंग पर पवित्र गंगा जल अर्पित करना होता है। माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।

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