Up kiran,Digital Desk : एक ज़माना था जब विदेशी टीमें भारत आकर एक टेस्ट मैच जीतने के लिए तरस जाती थीं। घर पर टीम इंडिया को हराना लगभग नामुमकिन माना जाता था। लेकिन अब वक्त बदल गया है। पिछले 12 महीनों में यह दूसरी बार है जब भारतीय टीम अपनी ही धरती पर किसी टीम से क्लीन स्वीप (सारे मैच हारना) हो गई है। साउथ अफ्रीका के खिलाफ मिली 0-2 की करारी हार ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस शर्मनाक प्रदर्शन पर 1983 वर्ल्ड कप विजेता कप्तान कपिल देव ने टीम इंडिया को आईना दिखाया है। उन्होंने वो 3 बड़ी कमजोरियां बताई हैं, जिन पर अगर आज काम नहीं किया गया, तो भारत का 'घर पर शेर' वाला तमगा भी छिन जाएगा।
"रणजी ट्रॉफी खेलना भूल गए हैं क्या?"
कपिल देव ने सबसे पहला और सबसे बड़ा सवाल यही उठाया कि हमारे बड़े-बड़े खिलाड़ी घरेलू क्रिकेट (डोमेस्टिक क्रिकेट) क्यों नहीं खेलते? उन्होंने कहा, "मैं बस यह जानना चाहता हूं कि आज के कितने टॉप खिलाड़ी रणजी ट्रॉफी खेल रहे हैं? अगर आप घरेलू क्रिकेट में अच्छे गेंदबाजों का सामना ही नहीं करेंगे, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपकी कमजोरियां तो सामने आएंगी ही।" उनका मानना है कि पुराने खिलाड़ी इसलिए सफल थे क्योंकि वे अलग-अलग पिचों पर घरेलू क्रिकेट खेलकर खुद को मांजते थे।
"ये पिच है या मज़ाक? ढाई दिन में खत्म हो रहा टेस्ट!"
कपिल पाजी ने खराब पिचों पर भी जमकर भड़ास निकाली। उन्होंने कोलकाता टेस्ट का उदाहरण देते हुए कहा, "ऐसी पिचों का क्या फायदा, जहाँ मैच 5 दिन तो छोड़िए, 3 दिन भी नहीं चल पा रहा? टॉस हारो और मैच हार जाओ... ये क्या बात हुई? जहाँ कोई भी टीम 200 रन नहीं बना पा रही, वो पिच टेस्ट क्रिकेट के लिए अच्छी नहीं है।"
T20 की आदत ने टेस्ट को बर्बाद कर दिया
उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि आजकल इतना ज्यादा टी20 और वनडे क्रिकेट हो रहा है कि बल्लेबाजों को सपाट, बल्लेबाजी के लिए आसान पिचों पर खेलने की आदत हो गई है। उन्होंने कहा, "जब आप हर वक्त T20 खेलते हैं, तो आपको गेंदबाजों के लिए मददगार पिचों का सामना करने की आदत ही नहीं रहती। स्पिन और सीम वाली पिचों पर खेलने के लिए जिस धैर्य और तकनीक की जरूरत होती है, वो आज के बल्लेबाजों में दिख ही नहीं रही है।"
साफ है, कपिल देव का मानना है कि जब तक खिलाड़ी घरेलू क्रिकेट में पसीना नहीं बहाएंगे और टेस्ट मैचों के लिए अच्छी, 5 दिन चलने वाली पिचें नहीं बनेंगी, तब तक टीम इंडिया का टेस्ट क्रिकेट में संघर्ष जारी रहेगा।
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