Up Kiran, Digital Desk: पंजाबी सिंगर दिलजीत दोसांझ के 1 नवंबर को ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में आयोजित होने वाले कॉन्सर्ट को लेकर खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने गहरी चिंता जताई है। पन्नू ने चेतावनी दी है कि अगर यह कॉन्सर्ट हुआ तो वह इसे रद्द कराने की पूरी कोशिश करेंगे। उनके अनुसार, दिलजीत ने बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन के पैर छूकर 1984 के सिख नरसंहार के पीड़ितों का अपमान किया है।
पन्नू ने कहा- "दोसांझ ने सिखों के दर्द को तौला"
गुरपतवंत सिंह पन्नू ने बयान जारी करते हुए दिलजीत दोसांझ पर गंभीर आरोप लगाए। पन्नू ने कहा कि दिलजीत ने अमिताभ बच्चन के पैर छूकर 1984 के नरसंहार के पीड़ितों का अपमान किया है। उनका कहना था कि बच्चन ने उस समय नरसंहार के दौरान सिखों के खिलाफ माहौल बनाया और उन्होंने दंगों को उकसाने वाला 'खून का बदला खून' जैसा नारा दिया। पन्नू ने दिलजीत को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उन्होंने जिस शख्स के पैर छुए हैं, वही 1984 के दंगों के प्रमुख समर्थक थे।
बच्चन पर आरोप: पन्नू ने क्यों कहा "ग़ीदड़भभकी"
पन्नू ने साफ तौर पर कहा कि अमिताभ बच्चन ने 1984 के सिख नरसंहार के काले दिन में न केवल चुप्पी साधी, बल्कि दंगाइयों का समर्थन भी किया। इस बिंदु पर पन्नू ने यह आरोप लगाया कि बच्चन ने नरसंहार के वक्त शांति की बजाय भीड़ को उकसाया। इसी कारण दिलजीत ने उन्हें सम्मान देकर पीड़ित सिखों का मजाक उड़ाया है।
1 नवंबर: क्या सिखों का अपमान कर रहे हैं दिलजीत?
पन्नू ने 1 नवंबर को होने वाले दिलजीत के सिडनी कॉन्सर्ट की तारीख को लेकर भी विरोध जताया। उनका कहना था कि यह दिन एक विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इसे सिख नरसंहार स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है। पन्नू के अनुसार, कॉन्सर्ट उसी दिन आयोजित करके दिलजीत ने सिखों की पीड़ा का मजाक उड़ाया है।
सिख्स फॉर जस्टिस की प्रतिक्रिया
खालिस्तानी संगठन सिख्स फॉर जस्टिस ने भी इस विवाद में कूदते हुए कहा कि वह 1 नवंबर को कॉन्सर्ट स्थल के बाहर एक रैली निकालेगा। संगठन ने अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गर्गज को पत्र भेजकर दिलजीत से स्पष्टीकरण मांगने का अनुरोध किया है।
दिलजीत दोसांझ पर बढ़ी जिम्मेदारी
दिलजीत दोसांझ का ऑस्ट्रेलिया में होने वाला कॉन्सर्ट अब एक नया विवाद बन चुका है। 1984 के नरसंहार को लेकर पन्नू और अन्य खालिस्तानी संगठनों की प्रतिक्रिया ने इसे राजनीतिक रंग दे दिया है। दिलजीत, जो पहले ही अपने प्रगतिशील विचारों के लिए प्रसिद्ध हैं, इस मामले में अब कुछ बड़ा कदम उठाने की स्थिति में हैं।
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