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Up Kiran , Digital Desk: जब भी हम हवाई जहाज में सफर करते हैं, तो हमारे ज़हन में एक सवाल ज़रूर आता है — इतना विशाल आसमान, न कोई सड़क, न कोई मोड़ — फिर भी पायलट को कैसे पता होता है कि जाना किधर है?
हवाई यात्रा वास्तव में जितनी आरामदायक और तेज़ है, उतनी ही जटिल तकनीकी प्रणाली से संचालित भी है। आइए समझते हैं कि एक पायलट कैसे एक उड़ान को सुरक्षित और सटीक तरीके से गंतव्य तक पहुंचाता है।
आसमान में 'रास्ते' भी होते हैं
शायद आपको जानकर हैरानी हो, मगर आसमान में भी अदृश्य रास्ते होते हैं जिन्हें 'एयरवे' कहा जाता है। ये अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तय किए गए मार्ग होते हैं, जिनके सहारे हवाई जहाज़ एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं। इन रास्तों पर चलने के लिए पायलट के पास कई तकनीकी सहायक होते हैं।
बिल्कुल वैसे ही जैसे हम मोबाइल में मैप देखते हैं, पायलट भी GPS की मदद से जानता है कि वो इस समय कहाँ है और कहाँ जाना है। तो वहीं रडार पायलट को मौसम, आसपास के विमान और अन्य रुकावटों के बारे में जानकारी देता है। यह उड़ान की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाता है।
पायलट और एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) के बीच निरंतर संपर्क रहता है। ATC उन्हें निर्देश देता है कि किस ऊंचाई पर उड़ना है, कब मुड़ना है और कब उतरना है।
HSI: दिशा दिखाने वाला सूचक
HSI या Horizontal Situation Indicator, पायलट के लिए एक डिजिटल मैप होता है। ये उन्हें बताता है कि वे कहां हैं, कौन-सी दिशा में जा रहे हैं और अगले मोड़ पर क्या करना है। ये यंत्र न सिर्फ मार्गदर्शन करता है बल्कि किसी भी समस्या को भी तुरंत पकड़ लेता है, जिससे पायलट रास्ते से भटकने से बच जाते हैं।
अक्सर हमें लगता है कि पायलट सब कुछ अकेले करता है, मगर हकीकत ये है कि वह एक पूरे सिस्टम का हिस्सा होता है। ग्राउंड पर बैठे ATC अधिकारी, मौसम विशेषज्ञ, एयरलाइन ऑपरेशन्स टीम ये सभी मिलकर उड़ान को सफल बनाते हैं।
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