Up Kiran, Digital Desk: भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत सबसे उत्तम माना जाता है. हर महीने दो प्रदोष व्रत आते हैं- एक कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में. जब यह व्रत सोमवार के दिन पड़ता है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि सोमवार का दिन भी भगवान शिव को ही समर्पित है. इसे सोम प्रदोष व्रत कहते हैं.
नवंबर 2025 में सोम प्रदोष व्रत कब है? (Som Pradosh Vrat November 2025 Date)
साल 2025 में, नवंबर महीने का सोम प्रदोष व्रत 10 नवंबर, दिन सोमवार को रखा जाएगा. यह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को पड़ेगा. सोमवार और प्रदोष का यह संयोग भगवान शिव की कृपा पाने के लिए बेहद खास माना जा रहा है.
पूजा का शुभ मुहूर्त (Puja Muhurat)
प्रदोष व्रत की पूजा हमेशा शाम के समय, यानी प्रदोष काल में की जाती है.
त्रयोदशी तिथि की शुरुआत: 10 नवंबर 2025 को सुबह 10:25 बजे से
त्रयोदशी तिथि का समापन: 11 नवंबर 2025 को सुबह 11:32 बजे तक
पूजा का शुभ मुहूर्त: 10 नवंबर, सोमवार की शाम 05:30 बजे से रात 08:08 बजे तक
इस शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना फलदायी रहेगा.
सोम प्रदोष व्रत की आसान पूजा विधि (Puja Vidhi)
सोम प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें.
इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें.
दिनभर उपवास रखें और मन में "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करते रहें.
शाम के समय प्रदोष काल में फिर से स्नान करें.
पूजा स्थान पर शिवलिंग स्थापित करें. यदि शिवलिंग नहीं है तो भगवान शिव की तस्वीर के सामने पूजा करें.
गंगाजल और दूध से भगवान शिव का अभिषेक करें.
इसके बाद उन्हें बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद चंदन, फूल, और मौसमी फल अर्पित करें.
धूप और घी का दीपक जलाकर शिव चालीसा या सोम प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें.
पूजा के अंत में शिव जी की आरती करें और उनसे अपनी मनोकामना कहें.
पूजा के बाद प्रसाद सभी में बांटें और खुद भी ग्रहण करें.
मान्यता है कि सोम प्रदोष का व्रत रखने और सच्चे मन से पूजा करने से व्यक्ति की हर इच्छा पूरी होती है, जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.
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