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Up kiran,Digital Desk : जब एक लड़की शादी करके अपने नए घर जाती है, तो उसका दिल हज़ारों सपनों और उम्मीदों से भरा होता है। वह चाहती है कि सब उसे प्यार करें, उसे अपनाएं और वह इस नए परिवार का दिल जीत ले। लेकिन अक्सर, सबको खुश रखने की इसी दौड़ में वह कुछ ऐसी गलतियां कर बैठती है, जिनका असर रिश्ते पर आगे चलकर दिखाई देता है।

शुरुआत में जो बातें छोटी लगती हैं, वही बाद में तनाव और घुटन की वजह बन जाती हैं। इसलिए जरूरी है कि कुछ बातों को पहले दिन से ही समझकर चला जाए, ताकि आपका नया रिश्ता प्यार और सम्मान की नींव पर खड़ा हो, मजबूरी की नहीं।

पहली गलती: 'सुपर बहू' बनने की कोशिश

अक्सर लड़कियां सोचती हैं कि अगर वे घर का सारा काम अकेले करेंगी, सुबह सबसे पहले उठेंगी, रात में सबसे आखिर में सोएंगी, सबकी पसंद का खाना बनाएंगी, तो ससुराल में हर कोई उनसे खुश हो जाएगा। लेकिन सच तो यह है कि आप एक इंसान हैं, कोई मशीन नहीं। आप हर किसी को हर वक्त खुश नहीं रख सकतीं।

इसका नुकसान क्या है?

जब आप ऐसा करती हैं, तो लोगों की आपसे उम्मीदें बढ़ जाती हैं। यह प्यार नहीं, आदत बन जाती है। धीरे-धीरे सारा काम आपकी अकेली की ज़िम्मेदारी मान लिया जाता है। नतीजा? कुछ ही महीनों में आप थकान, तनाव और निराशा से घिर जाती हैं।

क्या करें?
समझदारी इसी में है कि आप शुरू से ही सबकी मदद लें और काम को मिलकर करने की आदत डालें। आप घर की सदस्य हैं, कामवाली नहीं।

दूसरी गलती: 'चलता है' सोचकर बातें नज़रअंदाज़ करना

नए घर में आपको कुछ लोगों का व्यवहार या कुछ बातें अजीब लग सकती हैं। हो सकता है कोई आपके पहनावे पर ताना कसे, कोई आपकी राय को न दे, या कोई बात-बात पर आपको नीचा दिखाए।

अक्सर लड़कियां यह सोचकर चुप रह जाती हैं कि "अभी तो नई-नई आई हूँ, कुछ कहना ठीक नहीं है।" लेकिन रिश्ते को ज़हरीला बनाने वाले ये छोटे-छोटे 'रेड फ्लैग' ही होते हैं। जो बातें आज छोटी लग रही हैं, वही कल आपके आत्म-सम्मान पर हमला करने लगती हैं।

क्या करें?

तुरंत जवाब देना या लड़ना जरूरी नहीं है, लेकिन इन बातों को नज़रअंदाज़ बिलकुल न करें। शांत रहकर सब कुछ देखिए, समझिए और यह पहचानिए कि कौन सी बात आपको अंदर से परेशान कर रही है।

तीसरी गलती: अपनी 'ना' को दिल में ही रख लेना

नए रिश्ते में अपनी एक लक्ष्मण रेखा तय करना बहुत जरूरी है। आपको कौन सी बातें मंजूर हैं और कौन सी नहीं, यह विनम्रता से बताना सीखें।
ना कहने का मतलब बगावत नहीं, बल्कि अपना सम्मान करना है।

इसका नुकसान क्या है?

जो काम आप एक बार मजबूरी या लिहाज़ में आकर कर देती हैं, वो दूसरी बार आपकी ज़िम्मेदारी बन जाता है। अगर कोई ऐसी बात है जो आपको सही नहीं लग रही, तो उसे उसी समय साफ शब्दों में, लेकिन शांति से मना कर दीजिए।

याद रखिए, ये बातें रिश्ते तोड़ने के लिए नहीं, बल्कि उन्हें ज़िंदगी भर खूबसूरती और बराबरी के साथ निभाने के लिए हैं। एक खुश और संतुष्ट बहू ही पूरे घर को खुश रख सकती है।