Up Kiran, Digital Desk: सूर्य की उपासना और लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा आने वाला है। यह सिर्फ़ एक त्योहार नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की गहरी आस्था और विश्वास का प्रतीक है, खासकर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में। इस पर्व में महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र, अच्छी सेहत और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए लगभग 36 घंटों का सबसे कठिन निर्जला व्रत रखती हैं।
छठ पूजा का त्योहार चार दिनों तक चलता है और हर दिन का अपना एक ख़ास महत्व होता है। आइए जानते हैं साल 2025 में छठ पूजा की शुरुआत कब से हो रही है और किस दिन कौन सा अनुष्ठान किया जाएगा।
चार दिनों का होता है यह महापर्व (Chhath Puja 2025 Dates)
इस साल छठ पूजा का महापर्व नवंबर महीने में मनाया जाएगा।
पहला दिन - नहाय-खाय (2 नवंबर, 2025, रविवार): यहीं से छठ पूजा की शुरुआत होती है। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं (व्रती) नदी या तालाब में स्नान करती हैं और फिर सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं। इस दिन ख़ास तौर पर कद्दू-भात (लौकी और चावल) बनाया जाता है।
दूसरा दिन - खरना (3 नवंबर, 2025, सोमवार): इस दिन महिलाएं पूरे दिन उपवास रखती हैं और शाम को सूर्य अस्त होने के बाद पूजा करती हैं। पूजा के बाद गुड़ की खीर (रसियाव) और रोटी का प्रसाद ग्रहण किया जाता है।
तीसरा दिन - संध्या अर्घ्य (4 नवंबर, 2025, मंगलवार): यह छठ पूजा का मुख्य दिन होता है। इस दिन व्रती महिलाएं शाम के समय नदी, तालाब या किसी भी जलाशय में खड़े होकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं। बांस की टोकरी में ठेकुआ, फल और पूजा की सामग्री सजाकर सूर्य देव को अर्पित की जाती है।
चौथा दिन - उषा अर्घ्य (5 नवंबर, 2025, बुधवार): यह छठ पूजा का आख़िरी दिन होता है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले ही नदी के घाट पर पहुँच जाती हैं और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं। अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है और 36 घंटे का कठिन उपवास समाप्त होता है।
क्या है छठ पूजा का महत्व (Significance of Chhath Puja)
छठ पूजा में सूर्य देव और उनकी बहन छठी मैया (ऊषा) की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य देव की उपासना करने से व्यक्ति को आरोग्यता, धन-धान्य और संतान सुख का वरदान मिलता है। यह एकमात्र ऐसा पर्व है जिसमें डूबते हुए और उगते हुए, दोनों सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जो जीवन के उतार-चढ़ाव और जन्म-मृत्यु के चक्र को दर्शाता है।
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