
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का आईपीओ निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण विषय बना हुआ है। हाल ही में, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के अध्यक्ष तुहिन कांत पांडे ने संकेत दिए हैं कि NSE के आईपीओ से जुड़े लंबित मुद्दों का समाधान जल्द किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सभी लंबित मुद्दों को शीघ्र सुलझाने की दिशा में काम चल रहा है, हालांकि उन्होंने कोई निश्चित समयसीमा नहीं दी है।
NSE ने मार्च 2025 में SEBI से 'नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट' (NOC) के लिए एक नई आवेदन प्रस्तुत की थी, लेकिन अभी तक मंजूरी नहीं मिली है। इससे पहले, NSE ने 2016 में आईपीओ के लिए ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दाखिल किया था, लेकिन विभिन्न कानूनी और शासन संबंधी मुद्दों के कारण प्रक्रिया में देरी हुई।
SEBI ने NSE से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि वह कम से कम एक वर्ष तक तकनीकी रूप से बिना किसी गड़बड़ी के संचालन करे। इसके अलावा, NSE को अपनी कॉर्पोरेट गवर्नेंस संरचना को मजबूत करना और कुछ कानूनी मामलों को हल करना भी आवश्यक है।
हालांकि, NSE ने यह स्पष्ट किया है कि उसने वित्त मंत्रालय से किसी भी प्रकार की सहायता नहीं मांगी है। NSE ने कहा कि उसने पिछले 30 महीनों में सरकार से कोई संवाद नहीं किया है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यदि SEBI की शर्तें पूरी होती हैं, तो NSE का आईपीओ 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत में लॉन्च हो सकता है। यह भारतीय पूंजी बाजार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
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